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बूंदी

एक कृषि पर्यवेक्षक संभाल रहा आठ ग्राम पंचायतें

सीएडी क्षेत्र में कृषि पर्यवेक्षकों के पद कम होने से एक पर्यवेक्षक को आठ ग्राम पंचायतों का कार्य भार देखना पड़ रहा है, जिसके चलते क्षेत्र के किसानों को कृषि सबंधित सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है

बूंदीMay 26, 2025 / 04:36 pm

पंकज जोशी

एक कृषि पर्यवेक्षक संभाल रहा आठ ग्राम पंचायतें

कापरेन. कृषि पर्यवेक्षकों की कमी के चलते सुना पड़ा किसान सेवा केंद्र।

कापरेन. सीएडी क्षेत्र में कृषि पर्यवेक्षकों के पद कम होने से एक पर्यवेक्षक को आठ ग्राम पंचायतों का कार्य भार देखना पड़ रहा है, जिसके चलते क्षेत्र के किसानों को कृषि सबंधित सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, वहीं समय पर कृषि संबंधी जानकारियां नहीं मिल रही है।क्षेत्र के किसानों एवं कृषि पर्यवेक्षकों ने सीएडी क्षेत्र में कृषि पर्यवेक्षकों के नए पद सृजित करने और एक ग्राम पंचायत पर एक कृषि पर्यवेक्षक लगाने की मांग की है।
कृषि पर्यवेक्षक संघ सीएडी जिला अध्यक्ष द्वारका लाल मीणा ने बताया कि जिला विस्तार अधिकारी सीएडी बूंदी के अंतर्गत तीन पंचायत समितियों में 109 ग्राम पंचायतें है। इन 109 ग्राम पंचायतों में दो पद सहायक कृषि अधिकारी और 24 पद कृषि पर्यवेक्षकों के सृजित है। जबकि सहायक निदेशक कृषि विस्तार अधिकारी बूंदी के अंतर्गत दो पंचायत समितियों में 76 ग्राम पंचायत होने के बावजूद 74 पद कृषि पर्यवेक्षक के सृजित है। जिलाध्यक्ष ने बताया कि सीएडी क्षेत्र में सघन कृषि कार्य होते हुए भी एक कृषि पर्यवेक्षक के पास चार से आठ ग्राम पंचायतें आती है, जिससे कृषि विभाग की योजनाएं किसानों तक पहुंचाने में समस्या आती है। योजनाओं की जानकारी समय पर किसानों को नहीं मिल पाती है। जिलाध्यक्ष ने बताया कि आठ ग्राम पंचायतों में औसतन तीन से चार गांव आते हैं।
ऐसे में आठ ग्राम पंचायतों के सभी गांवों में पहुंचने के लिए एक कृषि पर्यवेक्षक एक माह में एक बार ही संपर्क कर पाता है, जिससे गांव के सभी किसानों को समय पर योजनाओं की जानकारी नहीं मिलती है और समय निकलने पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। किसानों को खेती में आने वाली समस्याओं का तुरंत समाधान नहीं हो पाता है। समस्या को देखते हुए किसान हित में कृषि पर्यवेक्षक के नवीन पद सृजित किए जाने और प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक कृषि पर्यवेक्षक को नियुक्ति दिए जाने की मांग की है।
एक सहायक कृषि अधिकारी, दस कृषि पर्यवेक्षक
किसानों, कृषि पर्यवेक्षकों का कहना है कि सीएडी क्षेत्र के अधीन केशवरायपाटन, बूंदी, और तालेड़ा पंचायत समितियां आती है। जिनमें कुल 109 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इनमें भी केशवरायपाटन पंचायत समिति में 46 ग्राम पंचायतें और चार नगरपालिका है, जिनमें केवल दस कृषि पर्यवेक्षक ही नियुक्त है और 46 ग्राम पंचायतों पर एक ही सहायक कृषि अधिकारी नियुक्त है। जबकि छह ग्राम पंचायत पर एक सहायक कृषि अधिकारी और एक ग्राम पंचायत पर एक कृषि पर्यवेक्षक होने चाहिए।
फसलों में रोग व बुआई की नहीं मिलती जानकारी
किसानों ने बताया कि कृषि पर्यवेक्षकों के पद कम होने से क्षेत्र में किसानों को जानकारी नहीं मिलती है। आधुनिक दौर में बुआई के लिए उत्तम गुणवत्ता के बीज, खाद, नमी आदि की समय पर जानकारी नहीं मिलती है। कई बार खेतों में फसलों पर रोग लगने पर अथवा अन्य समस्या होने पर कृषि पर्यवेक्षक समय पर खेत में नहीं पहुंच पाते हैं। फोन से मौका स्थिति नही देखने से उचित समाधान नही मिलता है। निजी दवा विक्रेताओं की मदद लेनी पड़ती है।वही कृषि विभाग, सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं पर अनुदान दिए जाते हैं जिनकी जानकारी बहुत देर से मिलती है। जब तक जानकारी मिलती है तब तक योजना में लिए जाने वाले किसानों की पूर्ति हो जाती है।
कृषि पर्यवेक्षक कम होने से किसानों की शिकायत व समस्या पर तुरंत मौके पर नहीं पहुंच पाते हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर कृषि व जन कल्याणकारी शिविर आयोजित होने पर भी पर्यवेक्षक मौजूद नहीं हो पाते हैं और किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने से कृषि पर्यवेक्षक व अधिकारियों की पर्याप्त संया होनी चाहिए।
सन्तोष दुबे, जिलाध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान संघ बूंदी
कमांड एरिया चबल सिंचित क्षेत्र में कृषि पर्यवेक्षक के पद कम होने से किसानों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नए पद सृजित करने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। कृषि संबंधी समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पाता है। कृषि क्षेत्र को देखते हुए कृषि पर्यवेक्षक के नए पद सृजित कर हर ग्राम पंचायत पर एक कृषि पर्यवेक्षक होना चाहिए।
पप्पू लाल मीणा, सहायक अधिकारी, केशवरायपाटन

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