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ये केसा पुस्तकालय ? न पानी न बिजली, शौचालय की व्यवस्था लाइब्रेरी में पुस्तक और कर्मचारी दोनो की कमी…

13सालों से सरकार की ओर से संचालित पं. दिनदयाल उपाध्याय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय उपेक्षित का शिकार हो रहा है।

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बूंदी. भागदौड़ भरी जिदंगी में लोगों का किताबों से दोस्ताना कायम है। लोगो को क्या चाहिए एक सुकुन भरा माहौल जहांं एक क्लिक के साथ अपनी पसंददीदा जानकारी का खजाना मिल जाए, लाइब्रेरी का नाम आते ही दिमाग में यह सभी चींजे सामने आती है। लेकिन बूंदी जिले का इकलौता पुस्तकालय में यह बात बैमानी ही लगती है। कम्प्यूटर के आधुनिक दौर में यहां भले यह सुविधा न हो लेकिन विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय भवन तमाम असुविधाओं के बीच अपनी पढ़ाई के लिए सुकून की जगह कायम किए हुए है।

एग्जाम का समय है ऐसे में बड़ी संख्या में यहां विद्यार्थियां पढ़ते नजर आ रहे है। यहां आने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि पुस्तकालय में ओर सुविधाएं बढ़ाई जाए तो युवाओं को पढ़ाई का बेहतर माहौल मिल सकेगा।


13सालों से सरकार की ओर से संचालित पं. दिनदयाल उपाध्याय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय उपेक्षित का शिकार हो रहा है। इस लाइब्रेरी में पुस्तक और कर्मचारी दोनो की कमी नजर आ रही है।

सरकार की ओर से लाइब्रेरियन के तौर पर अतिरिक्त जिम्मेदारी कनिष्ठ सहायक निखेश शर्मा को दी गई है। वहीं हायर सेकेड्री स्कूल की संस्था प्रधान ज्येाति शर्मा को कार्यालय अध्यक्ष की। इनके पास पहले ही इतनी जिम्मेदारियां है कि लाइब्रेरी के लिए समय नही निकाल पाती। वर्तमान में यहां एक ही महिला कर्मचारी के भरोसे कामकाज की जिम्मेदारी रहती है।

ऐसे में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। फाइल कम्पलीट नही हो पाती और किताबो का व्यवस्थिकरण नही हो पाता। पुस्तकालय में तकरीबन 50 हजार पुस्तकों का संग्रहण है जिसे संभालपाना मुश्किल हो रहा है। देखरेख के अभाव में अब ये कितबो धूल फांक रही है।

शाम ढलते ही अंधेरे में गुल हो जाता है वाचनालय
पुस्तकालय भवन में न पानी की सुविधा है न विधुत रौशनी न शौचालय। एग्जाम का दौर जारी है ऐसे में प्रतिदिन यहां करीब 90 से 100 विद्यार्थी सुकून के लिए पढ़ाई के लिए आ रहें है। आते है लेकिन इन तमाम असुविधाओं के बीच खुद को उपेक्षित सा महसूस करते है। शाम होने से पहले ही परिसर अंधेरे में गुल हो जाता है। जिसके चलते विद्यार्थियों को समस्या का सामना करना पड़ता है।
स्टाफ की दरकार-

पुस्तकालय मेंं वर्तमान में चार पदों की जरूरत है। लाइब्रेरी सहित सहायक कर्मचारी का पद भी खाली है। जिससे यहां की व्यवस्था में सुधार हो सके। वहीं प्रदेश में कई लाइब्रेरी को कम्प्यूटराइज्ड किया जा रहा है ऐसे में यहां भी यह सुविधा हो तो लोगो को तुरंत मनचाही किताब मिल सके।

धूल फांक रही पुस्तके-

रखरखाव की कमी की वजह से पुस्तकालय में रखी किताबे धूल फांकने के लिए मजबूर है। एक कक्ष में साहित्य, व अन्य किताबों से भरा संग्रहण मौजूद है लेकिन जिम्मेदारों के अभाव में यहां ताला ही लगा रहता है। ऐसे में यहां आने वाले विद्यार्थी स्वयं के कोर्स की किताबे और न्यूज पैपर ही पढ़ पाते है।

युवाओं के मतलब की नही किताबे-

उनके शिक्षा के हिसाब की किताबे ही नही है। पहले शिक्षा सीधी साधी हुआ करती थी। पुस्तके भी उसी ज्ञान को बढ़ाती थी लेकिन आज शिक्षा प्रोफशनल हो गई है। और इस तरह की किताबो का संग्रहण लाइब्रेरी में नही मिलता। वैसे यहां किताबो की सख्ंया 50 हजार बताई जा रही है लेकिन हकिकत कुछ ओर ही नजर आ रही है। विद्यार्थी अनिल गौतम का कहना है कि पुस्तकालय भवन में आने वाले न्यूज पैपर की बोलियां लगा दी जाती है, जिससे जानकारी के लिए चाही गई जानकारी नही मिल पाती। जिले की संस्कृति व ज्ञान संबंधी कई चीजों के संग्रहण को सहेज कर रखा जाए तो युवाओं को रौचक जानकारी मिलेगी। कम्पीटिशन की तैयारी कर रहें विष्णु प्रताप सिंह का कहना है कि लाइब्रेरी को वक्त के साथ बदलने की जरूरत है। यहां अंग्रेजी न्यूज पैपर भी मिले तो युवाओं के लिए उपयोगी होगा।

लाइब्रेरी को रेनोवेशन का इंतजार-

लाइब्रेरी को रेनोवेशन का इंतजार है। कहने को जयपुर पुस्तकालय विभाग व राजाराम मोहन राय पुस्तकालय से भी बजट आता है। इस साल किताबों के लिए साढ़े 6 हजार का बजट आया हुआ है। इस मामले को लेकर जब बात हुई तो पुस्तकालय कनिष्ठ सहायक ने बताया कि किताबों की डिमांड भेजी है जल्द ही नई किताबें आएगी।

पुस्तकालय भवन परिसर दुर्दशा का शिकार-

हाल ही रीट परीक्षा के दौरान पुस्तकालय भवन ही नही ग्राउंड में भी बाहर से आने वाले अभ्यर्थियों को पढ़ाई करते देखा गया। झाड़-झंकाड के बीच विद्यार्थी यहां शांत माहौल में अपनी जगह ढूढंते दिखाई देते है। ऐसा नही है कि इस ग्राउड के डेवलपमेंट को लेकर पुस्तकालय विभा ग प्रशासन ध्यान नही दे रहा विभाग ने दिसम्बर 2017 में करीब तीन लाख 70 हजार रूपए नगर परिषद में जमा करवाए ताकि ग्राउंड गार्डन में तब्दिल हो सके लेकिन अभी तक इस दिशा में परिषद ने कोई कदम नही उठाया।

शौरगुल बना परेशानी-

शांत माहौल में पढ़ाई करने वालों के लिए शौरगुल भी सरदर्द बना हुआ है दरअसल पुस्तकालय भवन में प्रवेश के लिए वैसे तो सर्किट हाउस वाला रास्ता बनाया गया है लेकिन हायर सेकेंड्री मैदान के पिछे से भी गेट होने के चलते लोग वाहनो से इसी रास्ते से गुजरते है इसके पिछे लोगो में चालान बनने का भय है। सर्किट हाउस चौराहे पर यातायात पुलिस की चौकसी की वजह से लोग वाहनो से इसी शोर्ट कट रास्ते का उपयोग करते है जिससे यहां वाहनो का शोरगुल बना रहता है।

पुस्तकालय कनिष्ठ सहायक निखेश शर्मा ने बताया की भाषा पुस्तकालय से जो बजट आया है उससे जल्द ही किताबे लाई जाएगी। पदों की कमी के चलते परेशानी आती हैैैैैै। पुस्तकालय परिसर के विकास को लेकर निगम परिषद को बजट दिया गया है।