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बाग बदहाल, जिम्मेदारों ने मुंह फेरा

जिम्मेदारों के मुंह फेर लेने से कभी शहर की सुंदरता को चार चांद लगाने वाले नैनवां के बाग (उद्यान) बदहाल बने हुए है।

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बूंदी

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pankaj joshi

Jun 03, 2025

बाग बदहाल, जिम्मेदारों ने मुंह फेरा

नैनवां. संरक्षण को तरस रहा कनक सागर के किनारे स्थित द्वारकाधीश हर्बल पार्क।

नैनवां. जिम्मेदारों के मुंह फेर लेने से कभी शहर की सुंदरता को चार चांद लगाने वाले नैनवां के बाग (उद्यान) बदहाल बने हुए है। नगरपालिका के अधीन होने से बागों को संवारने की जिमेदारी शहरी सरकार की है। शहरी सरकार की उदासीनता से बाग अपनी बर्बादी पर आंसू बहाते हुए कह रहे कि कोई तो हमारे बीते हुए दिन लौटा दो।

नैनवां को टाउन प्लानिंग के हिसाब से बसाने वालों ने शहर की सुंदरता के लिए तालाबों के बीच उद्यानों का भी निर्माण कराया था। तालाबों के बीच उद्यान खाके के रूप में आज भी खड़े है जो दूर से तो मोह रहे, अंदर जाकर देखो तो उजाड़ बने हुए है।

बागों की दुर्दशा का दर्द पालिका बोर्ड की बैठकों में भी उठाया गया फिर बागवान इनकी बहार नहीं लौटा पाए। नवल सागर तालाब के अन्दर स्थित रियासतकालीन बादलियां बाग तो इतना मनोहारी है जो पानी के बीच टापू जैसा लगता है। नवलसागर तालाब की सुंदरता बढाने के लिए तालाब के बीच ही बादलिया बाग का निर्माण कराकर पिकनिक स्थल का रूप दिया था। सुरक्षा के लिए पक्की चारदीवारी का निर्माण कराया था। बाग में कई प्रकार के छाया, फूल व फलदार वृक्षों से सरसब्ज किया था। अन्दर फूलवारी के लिए अलग अलग जोन व क्यारियां बनी हुई हैं, क्यारियों तक पानी पहुंचाने के लिए पक्के धोरे बने हुए हैं। पानी के लिए बावड़ी है, जो भी ढहकर तालाब में समा गई।

गणेश बाग नहीं बचा, बन गए भवन
महल के नीचे पूर्व दिशा में भी बाग का निर्माण कराया था। बाग में गणेश मंदिर होने से गणेश बाग के नाम से जाना जाता है। बुजुर्गों का कहना है कि सुनते आ रहे कि रियासतकालीन शासकों ने महल के पास बाग का निर्माण राज परिवार के सदस्यों के सैर-सपाटा करने के लिए बनाया था। गणेश मन्दिर में गणगोर पूजन करती थी। बाद में इसे आम जन के लिए खोल दिया। आज भी बाग में स्थित गणेश मन्दिर में गणगौर पूजन की परपरा जारी है। गढ की बावड़ी से ही बाग को सिंचित करने के लिए पक्के धोरे बने हुए थे। बाग के स्थल जेल, विद्यालय सहित अन्य सरकारी भवन के निर्माण से गणेश बाग में अब गणेश प्रतिमा ही रह गई बाग नहीं रहा।

हर्बल पार्क को नहीं मिला संरक्षण
कनकसागर के किनारे स्थित द्वारिकाधीश बगीची को कुछ लोगों ने हर्बल पार्क के रूप में विकसित करने के लिए कई प्रकार कर पौधे लगाए थे। हर्बल पार्क को संरक्षण नहीं मिल पाया। पार्क की दीवार टूट गई, जिससे मरम्मत नहीं हो पाई। हर्बल पार्क से बागरियों की बगीची के बीच को सुरक्षा दीवार बनाकर पार्क के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू किया, जिसे भी अधूरा ही छोड़ दिया। तालाब के लबालब होने से द्वरिकाधीश व बागरियो की बगीची पानी में डूबी हुई है।

रामबाग उजड़ गया
नवलसागर तालाब के राजघाट के पास भी बाग का निर्माण कराया था, जिसे राम बाग का नाम दिया गया था। राम बाग उजड़ जाने से नामों निशां तक नहीं बचे है। सिर्फ विलायती बबूलों का जंगल बन गया। इसी तरह कनक सागर तालाब के किनारे भी बगीची का निर्माण हुआ था, जिसे आज भी बागरियों की बगीची के नाम से जाना जाता है, जो भी उजड़ जाने से खाका बनकर रह गई।

प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे
पालिकाध्यक्ष सरिता नागर का कहना है कि शहर के उद्यानों को विकसित कराने के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। प्रस्तावों की मंजूरी मिलते ही कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।