तालाब का पानी हरा व गंदा हो गया है और इसकी बदबू धीरे-धीरे चारों और फैल रही है। ऐसे में मंदिर में आने वाले श्रद्धालु व तालाब के आसपास रहने वाले आमजन काफी परेशान है। तालाब के चारों अतिक्रमण के चलते 40 बीघा का तालाब सिमटकर 30 बीघा के आसपास रह गया है। इस समस्या को लेकर 12 मई को राजस्थान पत्रिका में तालाब का अस्तित्व खतरे में बदबू से ग्रामीण हो रहे परेशान शीर्षक समाचार प्रकाशित किया गया, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। तालेड़ा विकास अधिकारी नीता पारीक के निर्देश पर पंचायत समिति के सहायक अभियंता व कनिष्ठ अभियंता ओम चौधरी के द्वारा मंगलवार को खलुंदा गांव के तालाब का मौके पर जाकर निरीक्षण किया।
खलूंदा गांव के तालाब में आ रही बदबू की रोकथाम के लिए मौके पर सहायक अभियंता व कनिष्ठ अभियंता को भेजा था। ग्रामीणों को चाहिए कि घर का कचरा तालाब पर नहीं डाले और गांव के अंदर से आ रहे गंदे पानी की रोकथाम के लिए तालाब के चारों ओर कच्ची ड्रेन या पक्की नाली निर्माण का कार्य होने के बाद ही गांव के गंदे पानी की रोकथाम हो सकती है। इसके लिए मौके पर गए अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर तालाब की सुरक्षा व सौंदर्यकरण के लिये 50 लाख राशि का प्रस्ताव बनाकर सरकार के पास भेज दिया है। जैसे ही स्वीकृति आएगी तालाब के किनारे चारों तरफ निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
नीता पारीक, विकास अधिकारी, तालेड़ा