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खेतों में बैलों की घंटियों की फिर सुनाई देगी आवाज, सरकार देगी 30 हजार प्रतिवर्ष

ग्रामीण अंचल में एक बार फिर बैलों से खेती करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि की घोषणा के साथ ही बैलों के दिन फिरने की आस बंधी है।

बूंदीMar 17, 2025 / 06:04 pm

पंकज जोशी

खेतों में बैलों की घंटियों की फिर सुनाई देगी आवाज, सरकार देगी 30 हजार प्रतिवर्ष

गोठड़ा. ग्राम धोवड़ा में बैलों से खेत की हंकाई करता किसान।

बूंदी.गोठड़ा. ग्रामीण अंचल में एक बार फिर बैलों से खेती करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि की घोषणा के साथ ही बैलों के दिन फिरने की आस बंधी है। राज्य सरकार की योजना के अनुसार खेतों में बैलों की चहल-कदमी देखने को मिलेगी।
आधुनिक कृषि यंत्रों और ट्रैक्टरों के बढ़ते उपयोग ने जहां बैलों को खेती से दूर कर दिया था। वहीं अब राज्य सरकार की नई योजना लघु एवं सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस योजना के तहत बैलों से खेती करने पर किसानों को 30 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रति वर्ष दी जाएगी।
बैलों की संख्या हुई कम
गांव के बुजुर्ग बताते है कि पूर्व में गोठड़ा, रोणिजा, हिण्डोली, धोवड़ा, बड़ानया गांव, सथूर, बड़ौदिया, दबलाना जैसे बड़े गांवों में हर किसान के पास दो दो जोड़ी बैल हुआ करते थे। समय की करवट के साथ बैलों की संख्या में गिरावट आई, जिसके चलते हिण्डोली उपखण्ड क्षेत्र में दो से तीन सौ बैल ही पालतू रह गए। बीते वर्षों में बैलों की संख्या में लगातार गिरावट देखी गई है। यह योजना केवल बैलों के संरक्षण का माध्यम नहीं है, बल्कि छोटे किसानों के आर्थिक संबल के रूप में भी देखी जा रही है। साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने में भी यह अहम भूमिका निभाएंगी।
बैलों से होगी खेती
कभी गांवों के खेतों में बैलों की हुंकार और गले में बंधी घंटियां की मधुर ध्वनि खेतों में एक अलग ही माहौल बनाती थी। समय के साथ आधुनिक मशीनों के बढ़ते उपयोग के कारण बैलों का महत्व कम होता चला गया। अब सरकार की इस पहल से बैलों के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे पारंपरिक खेती की ओर वापसी संभव हो सकेगी। इस योजना से छोटे किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा और वे रासायनिक उर्वरकों की बजाय प्राकृतिक तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे न केवल खेती की लागत में कमी आएगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरकता भी बनी रहेगी। साथ ही गांवों में बेसहारा छोड़ रखे बैलों के गले में घंटियों की झनकार सुनाई देने के साथ बैलों का संरक्षण भी होगा।
कृषि विभाग ने शुरू की तैयारी
राज्य सरकार की बजट घोषणा के मुताबिक कृषि विभाग द्वारा बैलों वाले किसानों को 30 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कृषि आयुक्त चिन्मयी गोपाल द्वारा जारी दिशा निर्देशों में बताया गया कि सभी जिलों के कृषि अधिकारी गांवों में जाकर किसानों से बैलों की जानकारी निर्धारित फार्मेट में ले। वहीं किसानों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए बैलों का बीमा करवाने के साथ बैलों को ट्रेकिंग आईडी भी लगाई जाएगी, जिससे बैलों को ट्रैक करना आसान हो जाएगा।
जानकारों ने बताया कि इस योजना से खेती के पुराने दौर की वापसी होगी। साथ ही गोपालन को लेकर किसानों का रुझान बढ़ने की संभावना की आस जगी है। गांवों में छोटे बछड़ों को निराश्रित छोड़ दिया जाता था, लेकिन अब वे बैल बनकर किसानों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की तर्ज पर यह प्रोत्साहन राशि छोटे किसानों के लिए बड़ा सहारा बनेगी। यह न केवल कृषि उत्पादकता में सुधार करेगी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाएगी।

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