
Google Tax: भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 6 प्रतिशत इक्विलाइजेशन टैक्स को हटाने का प्रस्ताव दिया है। इक्विलाइजेशन टैक्स को गूगल टैक्स भी कहा जाता है। भारत के इस फैसले से गूगल, अमेजन और मेटा को इसका ज्यादा फायदा होने वाला है। यह कदम अमेरिका की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए लाभकारी होगा और साथ ही अमेरिका की उस चिंता को भी दूर करेगा, जिसमें भारत को उच्च-शुल्क वाला (High Tariff Nation) देश बताया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार का यह निर्णय अमेरिका के साथ व्यापार तनाव को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा के दौरान अमेरिका को एक लचीला दृष्टिकोण दिखाने के उद्देश्य से लिया गया है।
समानिकरण उपकर का उद्देश्य एक निवासी (Resident) और गैर-निवासी (Non-Resident) ई-कॉमर्स कंपनियों के कर दायित्व को समान बनाना है। 2016 से लागू इस कर के तहत, अगर कोई भारतीय कंपनी या व्यक्ति किसी विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाता (जैसे Google, Meta, Amazon) को 1 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करता है, तो उसे 6% कर देना पड़ता था। इसे गूगल टैक्स (Google Tax) भी कहा जाता था, क्योंकि यह विशेष रूप से विदेशी ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लागू था।
2020 में भारत ने ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2% समानिकरण उपकर लगाया था, लेकिन अमेरिका ने इसे भेदभावपूर्ण और अनुचित बताते हुए विरोध किया, क्योंकि भारतीय कंपनियां इससे मुक्त थीं। अमेरिका के दबाव के चलते भारत ने 2024 में इस 2% उपकर को हटा दिया, लेकिन 6% उपकर जारी था।
OECD/G20 समावेशी ढांचे (Inclusive Framework) के तहत अक्टूबर 2021 में अमेरिका, भारत और अन्य देशों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक वैश्विक कर प्रणाली विकसित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
अब भारत सरकार अमेरिका द्वारा संभावित व्यापार प्रतिशोध (Tariff Retaliation) से बचने और व्यापार वार्ता में लचीला रुख दिखाने के लिए इस 6% उपकर को भी हटाना चाहती है।
AKM Global के टैक्स पार्टनर अमित महेश्वरी का कहना है कि भारत ने पहले ही 2% ई-कॉमर्स उपकर हटा दिया था, लेकिन अमेरिका की प्रतिक्रिया को देखते हुए 6% ऑनलाइन विज्ञापन उपकर को हटाने का यह निर्णय व्यापारिक वार्ता को सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास है। हालांकि, यह देखना होगा कि क्या इससे अमेरिका की स्थिति में कोई नरमी आती है।
अमेरिका ने जून 2020 में डिजिटल सेवा करों की जांच शुरू की थी और दावा किया था कि ऑस्ट्रिया, भारत, इटली, स्पेन, तुर्की और यूके द्वारा लगाए गए डिजिटल कर अमेरिकी टेक कंपनियों (Apple, Amazon, Google, Facebook) के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं और अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली के सिद्धांतों के खिलाफ जाते हैं।
Nangia Andersen LLP के पार्टनर विश्वास पंजियार ने कहा कि समानिकरण उपकर हमेशा से एक अस्थायी समाधान था, जब तक कि वैश्विक सहमति नहीं बन जाती। भारत ने अपनी कर प्रणाली में महत्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति (Significant Economic Presence - SEP) का भी प्रावधान किया है, जिससे विदेशी कंपनियों पर कर लगाने का एक और तरीका मौजूद है। भारत सरकार का यह निर्णय कर प्रणाली में स्थिरता लाने और अमेरिका समेत अन्य देशों की चिंताओं को दूर करने के लिए उठाया गया एक सही कदम माना जा रहा है।
Published on:
25 Mar 2025 05:20 pm
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