
Budget 2022: How to explain the budget to a teenager
आजकल हर जगह बजट की चर्चा है की 'बजट पेश होने वाला है'। ऐसे में बच्चों के मन में बजट को लेकर कई सवाल होंगे कि आखिर ये बजट है क्या और कितना महत्वपूर्ण है? एक अभिभावक के तौर पर आप अपने बच्चों को आसान भाषा में बजट से जुड़ी जानकारी समझा सकते हैं। बजट का अर्थ है भविष्य के खर्च के लिए वो योजना है जो पूरे वर्ष राजस्व व अन्य आय तथा खर्चों का अनुमान लगाकर बनाई जाती है। ठीक वैसे ही जैसे किसी परिवार में कमाने वाले व्यक्ति के जरिए घर का पूरा खर्च तय होता है वैसे ही सरकार अपनी कुल आमदनी और व्यय को अनुमानित कर देश के लिए योजनाएं बनाकर हर वर्ग का खास ख्याल रखती है। अपने बच्चों को अपना उदाहरण दें।
जैसे एक परिवार में एक पिता/माता की कुल आय एक महीने की 3.5 लाख रुपए है। घर के पेट्रोल, EMI, खाना जैसे सभी आवश्यक खर्च कुल 2.25 लाख है।
ठीक इसी तरह सरकार का सालाना खर्च ₹34.8 ट्रिलियन और सालाना आय ₹19.8 ट्रिलियन है। कुल आय और कुल खर्च का जो अंतर है उसे राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) कहते हैं जोकि ₹15.3 ट्रिलियन आएगा। अब सरकार खर्च के लिए पूरे पैसे कैसे जोड़ती है उसे समझते हैं।
आप अपना उदाहरण दे सकते हैं कि जैसे आप उधार अपनों से लेते हैं वैसे सरकार अपनी जनता से लेती है। इस वर्ष के लिए सरकार की को उम्मीद है कि वो सभी संसाधनों से ₹9.7 ट्रिलियन उधार एकत्रित कर सकेगी।
इसमें से बची हुई राशि आप बैंक में जमा करते हैं या कहीं शेयर मार्केट में लगाते हैं। बैंकों और बीमा कंपनियों को आम लोगों द्वारा जुटाए गए धन में से कुछ को सरकार को उधार देना अनिवार्य है। ऐसे में आप जो पैसे शेयर मार्केट में लगाते हैं, PPF अकाउंट में जमा करने या EMI या बीमा करवाते हैं, वो सरकार अपने हिसाब से इस्तेमाल करती है।
ये उधार सरकार ब्याज दर पर लेती है। इससे पहले सरकार ने उधार लिया था उस पर ब्याज का भुगतान करने के लिए ₹ 8.1 ट्रिलियन का बजट रखा है।
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जब आपकी जमा की हुई राशि परिपक्व हो जाती है, या आप शेयर मार्केट में निवेश के पैसे वापस लेना चाहते हैं तो सरकार को आपको भुगतान करना पड़ता है। इस वित्तीय वर्ष में, सरकार को लघु बचत योजनाओं में कुल ₹4.8 ट्रिलियन के निवेश की उम्मीद है।
निवेश जो परिपक्व होता है या जमा किए हुए पैसे जो जनता को सरकार चुकाएगी वो इस वर्ष ₹91,343 करोड़ अनुमानित है।
अब इस राशि के भुगतान के लिए सरकार ₹ 4.8 ट्रिलियन के एक हिस्से का उपयोग करेगी जिससे सरकार के पास लगभग ₹3.9 ट्रिलियन राशि रह जाएगी। इसका उपयोग खर्च के लिए किया जाता है।
जैसे एक किसान या कोई व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा बेचती है उसी तरह से केंद्र सरकार हर साल अधिग्रहित कंपनी का हिस्सा बेचकर कमाने का अनुमान लगाती है।
उदाहरण के लिए सरकार ने इस साल, भारतीय जीवन बीमा निगम में अपने स्वामित्व का एक हिस्सा बेचने की योजना बनाई। इसे विनिवेश (Disinvestment) कहा जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार को इस साल विनिवेश के जरिए 2.1 ट्रिलियन रुपये कमाने की उम्मीद थी, लेकिन 30 नवंबर तक इससे केवल ₹9,333 करोड़ ही कमाई हो सकी थी।
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सरकार ये पैसे जनता से टैक्स के जरिए वसूल करती है। जो टैक्स एक आम व्यक्ति देता है वो भी सरकार के राजकोष में जाता है। उदाहरण के लिए पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला उत्पाद शुल्क (Excise Duty) भी सरकार के खाते में जाता है। सरकार को इस वित्तीय वर्ष के दौरान उत्पाद शुल्क से ₹3.4 ट्रिलियन कमाने की उम्मीद है।
गुड्ज़ एंड सर्विसेज टैक्स यानी कि GST जो आपको भरना पड़ता है उसका पैसा भी सरकार के पास जाता है। इस वर्ष सरकार को 6.3 ट्रिलियन जीएसटी से कमाने की उम्मीद है।
इसी तरह Corporative Tax भी है जिसे निगम टैक्स भी कहते हैं। कंपनियां होने वाले मुनाफे पर सरकार को टैक्स देती हैं। यह इस साल ₹5.5 ट्रिलियन होने की उम्मीद थी।
जब हम इन सभी टैक्सों और बाकी अनुमानित राशि जोड़ते हैं ये कुल ₹22.2 ट्रिलियन हो जाती है। इसमें से, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ ₹6.7 ट्रिलियन साझा करने की योजना बनाई है , ₹15.5 ट्रिलियन सरकार के पास रह जाएगा। इस तरह से सरकार खर्च के लिए राशि जुटाने में सफल होती है।
Updated on:
01 Feb 2022 08:38 am
Published on:
29 Jan 2022 12:02 pm
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