
Budget 2025: वित्त वर्ष 2025 के बजट को लेकर उद्योग जगत ने सरकार से कई महत्वपूर्ण मांगें की हैं। सोमवार को वित्त मंत्रालय और प्रमुख उद्योग संगठनों के बीच हुई बजट (Budget 2025) पूर्व चर्चा में मध्य वर्ग को कर राहत, पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी, और MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) के लिए विशेष प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके शीर्ष अधिकारियों के साथ इस चर्चा का फोकस रोजगार सृजन, उपभोक्ता खर्च बढ़ाने, और देश की आर्थिक वृद्धि को स्थिर बनाए रखने पर रहा।
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उद्योग संगठनों ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी करने की जोरदार सिफारिश की। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के चेयरमैन संजीव पुरी ने कहा, पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी से न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि यह खपत (Budget 2025) में भी वृद्धि करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। पुरी ने सुझाव दिया कि सरकार को मध्यम वर्ग के लिए कर छूट की सीमा को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने 20 लाख रुपए तक सालाना आय वाले व्यक्तियों को कर छूट दिए जाने का प्रस्ताव रखा। इसके अलावा, उन्होंने मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी दर को 267 रुपए प्रतिदिन से बढ़ाकर 375 रुपए प्रतिदिन करने की सिफारिश की।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ASSOCHAM) ने MSME सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए प्रिजंप्टिव टैक्सेशन का दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया। एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा, एमएसएमई के लिए कर प्रणाली को सरल और विवादमुक्त बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, डेटा सेंटर और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों को भी इस दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।
होटल और टूरिज्म सेक्टर (Budget 2025) को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा देने की मांग भी चर्चा में प्रमुख रही। उद्योग प्रतिनिधियों का मानना है कि इस कदम से विदेशी निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। फिक्की (FICCI) के वाइस चेयरमैन विजय शंकर ने कहा, सरकार को वित्त वर्ष 2026 में पूंजीगत व्यय को 15% तक बढ़ाना चाहिए, ताकि आर्थिक वृद्धि को स्थिर रखा जा सके।उन्होंने टीडीएस और टीसीएस दरों को सरल बनाने और जीएसटी से संबंधित लेन-देन पर टीडीएस/टीसीएस हटाने की मांग की।
2050 तक नेट जीरो का लक्ष्य पाने के लिए हरित ऊर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। उद्योग जगत ने प्रतिभूति लेनदेन कर को खत्म करने की सिफारिश की, ताकि पूंजी बाजारों में निवेश बढ़ाया जा सके।
वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत में फिजिकल, सोशल और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सार्वजनिक पूंजीगत व्यय बनाए रखने पर भी जोर दिया गया। उद्योग जगत ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर सरकार से आर्थिक नीतियों (Budget 2025) को स्थिर बनाए रखने की अपील की।
मध्य वर्ग और उद्योगों की इन मांगों को देखते हुए बजट 2025 से उम्मीदें बढ़ गई हैं। यदि सरकार टैक्स छूट और सस्ते ईंधन की दिशा में कदम उठाती है, तो इससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में वृद्धि (Budget 2025) होगी। इसके अलावा, MSME के लिए प्रोत्साहन और हरित ऊर्जा परियोजनाओं पर जोर अर्थव्यवस्था को लंबी अवधि में मजबूती देगा।
Updated on:
31 Dec 2024 04:51 pm
Published on:
31 Dec 2024 04:50 pm
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