पीएम के सलाहकार ने उठाया पेट्रोल और डीजल को जीएएसटी में लाने का मुद्दा इसके अलावा एक और चर्चा जोरों पर है कि जीएसटी काउंसिल पेट्रोल और डीजल को
GST में लाने पर फैसला कर सकती है। प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार विवेक देबरॉय का बयान चर्चा में बना हुए है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाना जरूरी है। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने से महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा। मीटिंग शुरू होने से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भरोसा जताया कि राज्यों को क्षतिपूर्ति का मुद्दा जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में हल हो जाएगा। लेकिन उन्होंने या फिर वित्त मंत्रालय की तरफ से 47 वीं मीटिंग में पेट्रोल डीजल को जीएसटी मेंं लाने या इस पर चर्चा के मुद्दे पर कोई आश्वासन नहीं दिया गया है।
45वीं मीटिंग में उठा था पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने का मुद्दा इससे पहले पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने को लेकर जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में चर्चा हुई थी। इस बैठक में करीब आधा दर्जन राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध किया था। बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए सीतारमण ने कहा था कि केरल उच्च न्यायालय के आदेश पर यह मुद्दा बैठक के एजेंडे में आया। परिषद ने सहमति व्यक्त की कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का यह सही समय नहीं है। इसकी जानकारी केरल हाई कोर्ट को भी दी जाएगी। केरल उच्च न्यायालय ने कुछ दिन पहले कहा था कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जाना चाहिए। बताया जाता है कि कई राज्यों ने बैठक में कहा कि वे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहते हैं।
जानकारों के अनुसार, अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आते हैं तो पेट्रोल कम से कम 25 रुपए और डीजल 20 रुपए सस्ता हो जाता। अभी देश में अधिकांश जगहों पर पेट्रोल 100 के पार रुपये और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के करीब बिक रहा है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो राज्यों के राजस्व में इससे नुकसान होगा। यही वजह है कि कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं।
करीब छह माह बाद हो रही है बैठक करीब छह माह बाद परिषद की बैठक हो रही है। बैठक में जीएसटी दरों में सामंजस्य के अलावा मुआवजे के भुगतान के मुद्दे पर भी गंभीरता से चर्चा होना तय माना जा रहा है। राज्य जीएसटी के कंपेनसेशन मुआवजे को पांच साल से अधिक जारी रखने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं। इसका पांच साल का कार्यकाल जून में समाप्त हो रहा है। ऐसे में मीटिंग की बैठक में आज भरपूर एक्शन दिख सकता है। आइए आपको बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने के अलावा काउंसिल की 47th मीटिंग में क्या-क्या चर्चा होना संभावित माना जा रही है—
मुआवजा विस्तार (Extension Compensation to states after 5 Years) जीसटी रेट में बदलाव और रियायत: चोरी पर अंकुश लगाने के लिए जीएसटी प्रणाली में सुधार ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्स 28 प्रतिशत किया जाना
सोने पर ई-वे बिल: जीएसटी प्रावधानों के अमल में आसानी: इन आइटम्स की जीएसटी दरों में हो सकता है बदलाव काउंसिल द्वारा फिटमेंट कमेटी द्वारा अनुशंसित कुछ आइटम्स पर दरों में बदलाव पर चर्चा करने की संभावना है। समिति ने कथित तौर पर ओस्टोमी उपकरणों, बैरियर क्रीम, आस्तीन, सिंचाई किट, माइक्रो-पोर टेप, स्टोमा चिपकने वाला पेस्ट, बेल्ट सहित) पर जीएसटी दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। इसने कृत्रिम अंग (कृत्रिम अंग), आर्थोपेडिक प्रत्यारोपण (आघात, रीढ़, और शरीर में आर्थ्रोप्लास्टी प्रत्यारोपण), और ऑर्थोस (ब्रेसिज़, स्प्लिंट्स, बेल्ट और कैलीपर्स) पर फ्लैट 5 प्रतिशत जीएसटी का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा, परिषद ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का मुद्दा भी उठाएगी। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन भाई पटेल के नेतृत्व में पिछले साल जून में गठित मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर जीएसटी लगाने की सिफारिश की थी। इस साल फरवरी में जीओएम का पुनर्गठन किया गया था और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को पैनल का संयोजक बनाया गया था।
क्या है जीएसटी परिषद ? चलिए, चलते-चलते आपको बताते है कि , वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 279 ए (1) को सम्मिलित करने के बाद 2016 में गठित जीएसटी परिषद, देश में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री (वर्तमान में निर्मला सीतारमण) करते हैं और इसमें वित्त मंत्री या सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य प्रतिनिधि शामिल होते हैं। राजस्व सचिव जीएसटी परिषद के पदेन सचिव हैं और सचिवालय कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है।अब तक इसकी 46 बैठकें हो चुकी हैं। जीएसटी काउंसिल की यह 47वीं बैठक है, जो मंगलवार और बुधवार को चंडीगढ़ में होगी और इसकी सिफारिशों की घोषणा बैठक के आखिरी दिन (बुधवार) को की जाएगी।
क्या जीएसटी परिषद की सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी हैं? नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने अपने नवीनतम फैसले में कहा कि जीएसटी परिषद केवल एक सिफारिशी निकाय है और इसकी सिफारिशें केंद्र या राज्यों पर बाध्यकारी नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि परिषद की सिफारिशें परामर्शदात्री होंगी और संसद और राज्य विधानसभा दोनों जीएसटी से संबंधित मामलों पर समान रूप से कानून बना सकते हैं।