
Foreign Exchange Reserve: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को जानकारी दी कि एक नवंबर को समाप्त हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) 2.6 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 682.13 अरब डॉलर पर आ गया है। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब अंतरास्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल का दौर जारी है और डॉलर की मांग बढ़ी है।
अमेरिका और यूरोप के आर्थिक नीतियों के चलते डॉलर में मजबूती आई है। इससे उभरते हुए बाजारों में विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है। इसके अतिरिक्त, अंतरास्ट्रीय ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव और उच्च आयात दरों के चलते भी भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है। हालांकि, इस दौरान भारत का भंडार अभी भी मजबूत स्थिति में है और वैश्विक स्तर पर इसे सुरक्षित माना जा रहा है।
अंतरास्ट्रीय आर्थिक उथल-पुथल और उभरते बाजारों की चुनौतियों के चलते गोल्ड रिजर्व में वृद्धि देखने को मिल रही है। आर्थिक मंदी और महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए निवेशक और केंद्रीय बैंक गोल्ड में निवेश को एक सुरक्षित उपाय मान रहे हैं। गोल्ड, खासकर अस्थिर आर्थिक परिस्थितियों में हेज के रूप में काम करता है। भारत में गोल्ड की हिस्सेदारी 2018 से अब तक 210 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुकी है, जो देश के आर्थिक आधार में स्थिरता लाने में सहायक मानी जाती है। गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी से देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में भी मजबूती आई है।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets) में पिछले सप्ताह कमी आई है। 1 नवंबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange Reserve) आस्ति भंडार $3.902 बिलियन घटकर $589.849 बिलियन रह गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा आस्तियों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, और यह कुल भंडार का एक प्रमुख हिस्सा माना जाता है।
सितंबर 2024 के अंत तक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। इस रिकॉर्ड स्तर के चलते भारत विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) के आकार में अंतरास्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर पहुंच गया था। वर्तमान में भारत इस मामले में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे स्थान पर है।
आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष में देश के विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखने के लिए विभिन्न नीतिगत उपाय अपनाए हैं। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) कुल मिलाकर 34.5 बिलियन डॉलर बढ़ा है, जो भुगतान संतुलन के आधार पर 11.2 महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गोल्ड रिजर्व अंतरास्ट्रीय आर्थिक अस्थिरता के समय एक भरोसेमंद संपत्ति साबित होती है। ऐसे में भारत ने अपने गोल्ड रिजर्व में निवेश बढ़ाया है, ताकि विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) को और अधिक स्थिरता मिल सके। गोल्ड की बढ़ती कीमतों के बावजूद, यह भंडार एक स्थिर वित्तीय संपत्ति मानी जाती है।
Updated on:
09 Nov 2024 12:19 pm
Published on:
09 Nov 2024 12:15 pm
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