
Forex Reserves: भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.235 अरब डॉलर की कमी आई है। इसके साथ ही यह भंडार घटकर 654.857 अरब डॉलर पर आ गया।
पिछले सप्ताह, 29 नवंबर को समाप्त अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में 1.51 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी, जिससे लगातार गिरावट के बाद थोड़ी राहत मिली थी। हालांकि, यह उछाल ज्यादा समय तक टिक नहीं सका और इस सप्ताह फिर से गिरावट का सिलसिला जारी रहा। गौरतलब है कि सितंबर के अंत में यह भंडार 704.885 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद से इसमें गिरावट देखी जा रही है।
RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets - FCA) में होता है। इस सप्ताह FCA में 3.228 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद यह घटकर 565.623 अरब डॉलर रह गई। FCA में गिरावट के पीछे प्रमुख वजह अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं (जैसे डॉलर, यूरो, पाउंड और येन) की कीमतों में उतार-चढ़ाव को माना जा रहा है।
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में दूसरा सबसे अहम घटक सोने का भंडार है, जो इस सप्ताह घटकर 66.936 अरब डॉलर रह गया। सोने के भंडार में 43 मिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट वैश्विक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आरबीआई द्वारा सोने की खरीद-फरोख्त में बदलाव का परिणाम है।
हालांकि, विदेशी मुद्रा भंडार के अन्य घटकों में मामूली बढ़ोतरी देखी गई।
विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights - SDR): इसमें 25 मिलियन डॉलर का इजाफा हुआ और यह बढ़कर 18.031 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भंडार स्थिति: यहां भी 12 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई और यह 4.266 अरब डॉलर तक पहुंच गई।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं में कमजोरी का असर भारतीय विदेशी भंडार पर भी पड़ता है।
तेल आयात: भारत एक बड़ा तेल आयातक है, और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के चलते विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग बढ़ जाता है।
अंतरास्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव: अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता के चलते निवेशकों का रुझान बदल सकता है, जिससे भारत के भंडार पर असर पड़ता है।
हालांकि, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) अभी भी दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल है, लेकिन लगातार गिरावट से चिंताएं बढ़ी हैं। विदेशी मुद्रा भंडार देश की आर्थिक स्थिरता और आयात क्षमता के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और आरबीआई को मिलकर ऐसी रणनीतियां बनानी होंगी, जो विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत बनाए रखने में मदद करें।
Published on:
14 Dec 2024 11:36 am
बड़ी खबरें
View Allकारोबार
ट्रेंडिंग
