
GDP Growth Rate: भारत की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर घटकर 5.4% पर आ गई है, जो दो वर्षों का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट पिछले वर्ष की इसी अवधि के 8.1% और पहली तिमाही के 6.7% के मुकाबले काफी कम है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कंजप्शन में कमी, मानसून की अनियमितता, और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (GDP Growth Rate) में धीमी वृद्धि इसके मुख्य कारण हैं। सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर में यह गिरावट उस समय दर्ज की गई है जब चीन की इसी अवधि में GDP वृद्धि (GDP Growth Rate) दर 4.6% रही। हालांकि, भारत अब भी विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।
दूसरी तिमाही के आंकड़े यह बताते हैं कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में केवल 2.2% की वृद्धि हुई, जबकि खनन और उत्खनन (Mining and Quarrying) क्षेत्र में -0.1% की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, कृषि क्षेत्र ने 3.5% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले चार तिमाहियों के खराब प्रदर्शन के बाद एक सकारात्मक संकेत है। निर्माण क्षेत्र ने भी 7.7% की वृद्धि दर्ज की, जो स्टील खपत में तेजी के कारण संभव हुआ। सर्विस सेक्टर (GDP Growth Rate) की वृद्धि दर 7.1% रही, जिसमें ट्रेड, होटल और ट्रांसपोर्ट सेगमेंट ने 6% की वृद्धि के साथ योगदान दिया।
विशेषज्ञों का कहना है कि निजी खपत में गिरावट GDP की धीमी रफ्तार का प्रमुख कारण है। शहरी मांग में कमी, बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति और उच्च उधारी दर ने उपभोक्ता खर्च पर असर डाला है। खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87% हो गई, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कमजोर हो गई। भारत के GDP में लगभग 60% का योगदान निजी खपत से आता है। इसके अलावा, कॉर्पोरेट आय में भी कमी दर्ज की गई है। भारतीय कंपनियों ने इस अवधि (GDP Growth Rate) में अपने सबसे कमजोर तिमाही प्रदर्शन की रिपोर्ट की है, जिससे निवेश और विस्तार योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इकोनॉमिक टाइम्स और रॉयटर्स के अलग-अलग सर्वेक्षणों में दूसरी तिमाही के लिए 6.5% GDP वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, वास्तविक आंकड़े इन अनुमानों से कम रहे। सरकारी खर्च में कटौती और बिजली तथा खनन क्षेत्रों में मानसून के कारण आए व्यवधान ने भी GDP वृद्धि दर को प्रभावित किया।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी रेपो दर को 6.50% पर स्थिर रखा है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 7.2% रखा गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के 8.2% से कम है। RBI का कहना है कि मुद्रास्फीति के दबावों को देखते हुए नीतिगत रुख तटस्थ रखा गया है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में GDP वृद्धि दर में सुधार संभव है। इसके पीछे प्रमुख कारण चुनावों के बाद सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और अनुकूल मानसून के बाद ग्रामीण मांग में सुधार हो सकते हैं। इसके अलावा, फेस्टिवल सीजन में खपत में संभावित बढ़ोतरी और वैश्विक मांग में सुधार भी सकारात्मक संकेत दे सकते हैं।
Published on:
30 Nov 2024 11:46 am
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