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जेनरेटिव AI 2024 का सबसे बड़ा साइबर सिक्योरिटी खतरा, हैकर्स कर रहे इस्तेमाल

Generative AI cybersecurity: दुनिया की हर चार में एक कंपनी AI के उपयोग को प्रतिबंधित कर रही हैं। सिस्को (SYSCO) के अध्ययन के अनुसार, 27 फीसदी कंपनियां डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी की चिंता के मद्देनजर तात्कालिक रूप से एआइ के प्रयोग को प्रतिबंधित कर चुकी हैं। कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता (69 फीसदी) है संगठन के वैधानिक और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा।

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Generative AI cybersecurity

जेनरेटिव AI है 2024 का सबसे बड़ा साइबर सिक्योरिटी खतरा

Generative AI cybersecurity: जेनरेटिव AI को वर्ष 2024 के सबसे बड़े साइबर सिक्योरिटी खतरे की तरह देखा जा रहा है। मार्च 18 से 19 तक सिडनी में होने वाले गार्टनर सिक्योरिटी और जोखिम प्रबंधन शिखर सम्मेलन से पहले गार्टनर ने कहा है कि 2024 में जेनरेटिव AI की ताकत पर सवार हैकर्स सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर सकते हैं। लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) हैकिंग स्पेस में एक नए डिसरप्शन की शुरुआत हो सकते हैं। गार्टनर के अनुसार, एआइ जेन के इस आरंभिक दौर में ही हैकर्स पहले ही चैटजीपीटी और जेमिनी का इस्तेमाल अपने काम को गति देने के लिए कर चुके हैं। इसके पहले इसी तरह की चिंता सिस्को 2024 डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क स्टडी में जताई गई थी।

27 फीसदी कंपनियों में AI पर रोक


यही वजह है कि दुनिया की हर चार में एक कंपनी AI के उपयोग को प्रतिबंधित कर रही हैं। सिस्को के अध्ययन के अनुसार, 27 फीसदी कंपनियां डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी की चिंता के मद्देनजर तात्कालिक रूप से एआइ के प्रयोग को प्रतिबंधित कर चुकी हैं। कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता (69 फीसदी) है संगठन के वैधानिक और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा। इसके बाद अपने प्रतिस्पर्धी के समक्ष कारोबारी सूचनाएं और अपने ट्रेड सीक्रेट का उजागर हो जाना दूसरा सबसे बड़ा खतरा माना गया है।

AI से बनाए गई प्रचार सामग्री असली जितनी असरदार


उधर, शोधकर्ताओं की एक टीम ने 8,000 से अधिक अमरीकी वयस्कों पर किए एक अध्ययन में पाया है कि एआइ से बनाए गई प्रचार और प्रोपेगैंडा सामग्री भी लगभग उतने ही असरदार और प्रेरक हैं, जितने कि असल में बनाए गए प्रोपेगेंडा के साधन। इसके लिए अमरीका में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने छह अंग्रेजी भाषा में लिखे लेखों की पहचान की, जो खोजी पत्रकारों और शोधार्थियों के अनुसार, संभवतः ईरानी या रूसी के गुप्त प्रचार अभियानों का हिस्सा थे। उन्होंने चेतावनी दी है कि जैसे-जैसै इस तरह की प्रचार सामग्री की मात्रा बढ़ जाएगी और उनका पता लगाना कठिन हो जाएगा।

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