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मोदी सरकार को करना पड़ सकता है एक करोड़ टन दालों का आयात 

मानसून सीजन में औसत से कम बारिश के कारण उत्पादन घटने की आशंका के बीच बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार को एक करोड़ टन से अधिक दालों का आयात करना पड़ सकता है। 

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ramdeep mishra

Nov 01, 2015

मानसून सीजन में औसत से कम बारिश के कारण उत्पादन घटने की आशंका के बीच बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार को एक करोड़ टन से अधिक दालों का आयात करना पड़ सकता है।

वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश कम होने से चालू वित्त वर्ष में दालों का उत्पादन वित्त वर्ष 2014-15 के रिकॉर्ड एक करोड़ 72 लाख टन से घटकर एक करोड़ 70 लाख टन रहने की आशंका है। ऐसे में बढ़ती मांग के मद्देनजर सरकार को एक करोड़ एक लाख टन दालों का आयात करने की जरूरत पड़ सकती है।

एसोचैम ने कहा कि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति बाधित होने की आशंका में इस वर्ष देश में दालों की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होगा। हालांकि सरकार ने अभी तक दाल की कमी से उत्पन्न स्थिति को नियंत्रित रखने की कोशिश की है लेकिन जिस रफ्तार से इसकी कीमत में इजाफा हुआ उसे आगे भी नियंत्रण में रख पाना कठिन है।

रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा खरीफ दाल उत्पादक राज्य है और कुल खरीफ दाल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 24.9 फीसदी है। इसके बाद 13.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कर्नाटक, 13.2 फीसदी के साथ राजस्थान, 10 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश और 8.4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश का स्थान है। ये पांच राज्यों का देश के कुल खरीफ दाल उत्पादन में करीब 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। कम बारिश का प्रभाव इन राज्यों पर भी पड़ा है जिससे दालों का उत्पादन घटने का अनुमान है।

एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि दालों की घरेलू मांग को पूरा करने में सरकार का आयात बिल बढऩे की आशंका है। साथ ही सरकार के सामने उपलब्ध दालों का देश भर में वितरण और केंद्र एवं राज्य सरकार के लिए विभिन्न राज्यों में इसकी कीमतों को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा क्षेत्रीय बाजारों में उपयुक्त आपूर्ति प्रणाली का अभाव दाल की कीमत और वितरण से जुड़ी समस्याओं को और बढ़ा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार दीर्घावधि में दालों के अधिक आयात से सरकार को आत्मनिर्भरता के साथ ही देश में पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी झटका लग सकता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए बीज एवं तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराके किसानों को दालों की अधिक पैदावार करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार को एक प्रभावशाली कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक देश में मुख्य रूप से चना और अरहर (तूर) का उत्पादन किया जाता है। देश के कुल दाल उत्पादन में 30 से 70 लाख टन उत्पादन के साथ चना दाल का योगदान 41 फीसदी और 27 लाख टन उत्पादन के साथ अरहर दाल का योगदान 16 फीसदी है। अन्य दालों में मूंग और उड़द प्रमुख है।