
इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) ने महिला के हक में फैसला सुनाया है। (PC: AI)
Income tax notice cash deposit case: एक महिला ने 94 लाख में प्रॉपर्टी बेची। उसे करीब 38 लाख रुपए कैश में मिले, जिसका जिक्र उसने ITR में नहीं किया। इनकम टैक्स विभाग ने तुरंत महिला को टैक्स नोटिस थमा डाला। मामला, इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) मुंबई पहुंचा और फैसला महिला के हक में आया। ITAT ने कहा कि अगर रजिस्टर्ड सेल डीड में प्रॉपर्टी की बिक्री से मिले कैश का जिक्र है और बैंक स्टेटमेंट उस कैश के जमा होने की पुष्टि करता है, तो इसे अनएक्सपलेंड इनकम या कैश क्रेडिट नहीं माना जा सकता।
दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को टिप मिली थी कि महिला ने 94.06 लाख रुपए में प्रॉपर्टी बेची और कैश मिले 38 लाख में से 13 लाख रुपए अपने ICICI बैंक अकाउंट में जमा कराए। क्योंकि महिला ने सेक्शन 139 के तहत इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल नहीं किया था, इसलिए इनकम टैक्स असेसिंग ऑफिसर ने 28 अप्रैल, 2022 को सेक्शन 148 के तहत नोटिस जारी करके असेसमेंट को फिर से खोलने का फैसला किया।
ET वेल्थ ऑनलाइन के मुताबिक, चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुरना का कहना है कि इस मामले (ITA No.4627/Mum/2024) में असेसी (महिला) ने संबंधित असेसमेंट ईयर के दौरान एक अचल संपत्ति बेची और बिक्री से मिली रकम का एक हिस्सा कैश में अपने ICICI बैंक अकाउंट में जमा कर दिया। सेसिंग ऑफिसर (AO) ने सेक्शन 148 के तहत असेसमेंट को फिर से खोला, जिसमें आरोप लगाया गया कि महिला ने 13,00,500 रुपए का अनएक्सपलेंड कैश जमा किया। सुरना के अनुसार, महिला ने जवाब में एक ITR फाइल किया और रजिस्टर्ड सेल डीड, साथ में लगी रसीदें, बैंक स्टेटमेंट और एक कैलकुलेशन सहित सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्री सबूत दिए, जिसमें बताया गया कि कुल सेल असेसमेंट में से 38,15,000 रुपए कैश में मिले थे।
सुरना के अनुसार, इसके बावजूद, AO ने सिस्टम में हुई टेक्निकल गड़बड़ी की वजह से ITR को अमान्य मान लिया और दिए गए सबूतों को नज़रअंदाज़ कर दिया। आखिरी में बिक्री की पूरी रकम 94,06,000 को अनएक्सपलेंड इनकम मान लिया गया। इसके बाद इनकम-टैक्स कमिश्नर (अपील्स) ने कैपिटल गेन कैलकुलेशन को कुछ हद तक स्वीकार किया, लेकिन कैश डिपॉजिट से जुड़े सेक्शन 69A के तहत कार्रवाई को सही ठहराया।
इसके बाद मामला मुंबई टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) पहुंचा। ITAT ने जांच में पाया कि रजिस्टर्ड सेल डीड में बिक्री की रकम की रसीद साफ तौर पर दर्ज थी, जिसमें 38,15,000 रुपए के कैश का भी जिक्र था। इसके अलावा, बैंक अकाउंट में दिखाए गए कैश डिपॉजिट सीधे सेल डीड में दर्ज कैश रसीदों से मेल खाते थे और रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने इसके खिलाफ कोई सबूत भी पेश नहीं किया था।
ITAT मुंबई ने माना कि अगर प्राइमरी लीगल डॉक्यूमेंट यानी रजिस्टर्ड सेल डीड ने कैश रसीद की पुष्टि की है और बैंक रिकॉर्ड ने भी उसे सपोर्ट किया है, तो डिपॉज़िट का सोर्स स्पष्ट है। इसे अनएक्सपलेंड कैश नहीं कहा जा सकता। ट्रिब्यूनल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सेक्शन 69A केवल तभी लागू हो सकता है, जब कैश डिपॉज़िट के लिए दी गई वजह ठीक न हो या पर्याप्त सबूत पेश न किए गए हों। ITAT मुंबई ने आगे कहा कि केवल टेक्निकल खामियां, जैसे कि सिस्टम द्वारा रिटर्न को अमान्य ठहराना, रिकॉर्ड में रखे गए जरूरी सबूतों को ओवरराइड नहीं कर सकतीं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुरना का कहना है कि AIMS जैसे ऑटोमेटेड इन्फॉर्मेशन सिस्टम रीअसेसमेंट शुरू कर सकते हैं लेकिन प्राइमरी डॉक्यूमेंट्री सबूतों की जगह नहीं ले सकते। चूंकि न तो राजस्व ने डॉक्यूमेंट्स की वैधता पर सवाल उठाए और न ही अनएक्सपलेंड कैश की बात सिद्ध हो पाई, इसलिए ट्रिब्यूनल ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। ITAT मुंबई ने कहा कि विक्रेता द्वारा प्रदान की गई रसीद ICICI बैंक अकाउंट में जमा किए गए कैश से बिल्कुल मेल खाती है। राजस्व विभाग ने भी इसे चुनौती नहीं दी है। लिहाजा, 13,00,500 रुपए की रकम को अनएक्सपलेंड कैश मानने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
Updated on:
30 Dec 2025 12:08 pm
Published on:
30 Dec 2025 12:02 pm
बड़ी खबरें
View Allकारोबार
ट्रेंडिंग
