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रिवर्स चार्ज से यदि लायबिलिटी आती है तो लेना होगा रजिस्ट्रेशन

जैसा कि हम सबको पता है गुड्स अथवा सर्विस की सप्लाई करने पर ही जीएसटी लगता है। जीएसटी में अचल सम्पत्ति शामिल नहीं होती है। गुड्स में सभी तरह की चल सम्पत्ति आती हैं, किन्तु मानवीय उपभोग के लिए उपयोग की जाने वाली शराब शामिल नहीं है। जो व्यवहार गुड्स में नहीं कवर होते हैं वे सर्विस में आ जाते हैं। सर्विस में शेयर और सिक्योरिटीज शामिल नहीं है, किंतु इनसे संबंधित, जो भी सेवाएं आती हैं, वे शामिल होती हैं।

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जयपुर

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Jyoti Kumar

Oct 13, 2024

GST

जैसा कि हम सबको पता है गुड्स अथवा सर्विस की सप्लाई करने पर ही जीएसटी लगता है। जीएसटी में अचल सम्पत्ति शामिल नहीं होती है। गुड्स में सभी तरह की चल सम्पत्ति आती हैं, किन्तु मानवीय उपभोग के लिए उपयोग की जाने वाली शराब शामिल नहीं है। जो व्यवहार गुड्स में नहीं कवर होते हैं वे सर्विस में आ जाते हैं। सर्विस में शेयर और सिक्योरिटीज शामिल नहीं है, किंतु इनसे संबंधित, जो भी सेवाएं आती हैं, वे शामिल होती हैं।

सप्लाई में शामिल
सेल, एक्सचेंज, बार्टर, ट्रांसफर, रेंटिंग, लीजिंग, लाइसेंसिंग, डिस्पोजल अगर बिजनेस के लिए या उसके दौरान कन्सिडरेशन लेकर किए जाते हैं, किंतु यही ट्रांजेक्शन यदि सिस्टर कंसर्न या ब्रांच ऑफिस या हेड ऑफिस के मध्य होते हैं तो फिर किसी कन्सिडरेशन के बिना किया जाए तो भी सप्लाई माने जाएंगे। इसमें जीएसटी लगेगा।

टर्नओवर लिमिट और रजिस्ट्रेशन
सिर्फ सर्विस की ही सप्लाई है तो 20 लाख, सिर्फ गुड्स की सप्लाई है तो 40 लाख, या दोनों मिक्स हैं तो टोटल टर्नओवर के 10% से अधिक सर्विस की वैल्यू न हो तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है। अगर रिवर्स चार्ज से लायबिलिटी आती है तो रजिस्ट्रेशन लेना होगा।

रजिस्ट्रेशन क्यों?
टर्नओवर ज्यादा होने पर या अन्य किसी भी रूप में जैसे रिवर्स चार्ज आदि में लायबिलिटी के बावजूद रजिस्ट्रेशन नहीं लेने पर पेनल्टी लग सकती है। बिना रजिस्ट्रेशन के इशू किए गए बिल पर इंटरेस्ट लिया जा सकता है।

इसके फायदे
टैक्सपेयर ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर का व्यक्ति कहलाने लगता है। इनवर्ड सप्लाई पर क्रेडिट ले सकता है, जिसे सप्लाई किए गए माल पर लगने वाले जीएसटी को वसूल कर भरते समय माइनस कर सेट ऑफ कर सकता है।

कई बिजनेस कवर
मैन्युफैक्चरर हैं तो 2% जीएसटी लगता है टोटल फूड बेवरेज रेस्टोरेंट कैटरिंग है तो 5त्न लगता है। अन्य सप्लायर है तो 1 % लगता है। इस स्कीम में जाने वाले न तो क्रेडिट ले सकते, न ही जीएसटी चार्ज कर सकते हैं।

कंपोजिशन स्कीम
लघु व्यवसाय, छोटे टैक्स पेयर आदि के बेनिफिट के लिए डेढ़ करोड़ तक के टर्नओवर वाले टैक्स पेयर को कवर किया गया है। इसमें जाने का ऑप्शन साल के शुरू होने के पहले ही फाइल करना पड़ता है। इसमें रिटर्न तिमाही जाता है। टैक्स पेमेंट एवं बिल डिटेल के रिटर्न मंथली जाते हैं।

जीएसटी के दायरे में नहीं आते
किसी एंप्लाई द्वारा अपने एम्प्लायर को एम्प्लॉयमेंट के दौरान दी गई सर्विसेज।
कोर्ट ट्रिब्यूनल आदि द्वारा दी गई सेवाएं।
सांसद एवं विधायक या अन्य सरकारी बोर्ड सदस्य द्वारा पद पर रहते हुए दी गई सेवाएं।
अंतिम संस्कार, श्मशान, कब्रिस्तान, मोर्चरी आदि की सेवाएं।
लैंड सेल, कंस्ट्रक्शन के दौरान बेची जाने वाली बिल्डिंग को छोडक़र अन्य बिल्डिंग की सेल।
कोर्ट में किए जा सकने वाले दावे (लॉटरी, बेटिंग, गैंबलिंग को छोडक़र)।
बिना भारत में प्रवेश किए भारत के बाहर किए गए व्यवहार।
लीडिंग इंश्योरेंस कर्ता द्वारा सीओ इंश्योरेंस को शेयर किया गया प्रीमियम

नवीन खंडेलवाल, सीए