script‘अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकते हैं लॉकडाउन-पाबंदियों के फैसले’ | Lockdown-Restrictions decisions may be overshadowed by the economy | Patrika News

‘अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकते हैं लॉकडाउन-पाबंदियों के फैसले’

locationनई दिल्लीPublished: Apr 15, 2021 12:45:24 pm

कोरोना की दूसरी लहर का कहर, भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया।13.7 प्रतिशत की ग्रोथ ब्रोकरेज कंपनी के पूर्वानुमान के लिए पैदा कर रही है जोखिम।पहले गोल्डमैन सैश का 10.9 प्रतिशत का अनुमान था।आमदनी में बढ़ोतरी का अनुमान 24 प्रतिशत कर दिया ।सोमवार को निफ्टी में 3.5 प्रतिशत का नुकसान हुआ ।

नई दिल्ली। भारत में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के बीच वॉल स्ट्रीट की ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान 10.9 फीसदी से घटाकर 10.5 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा ब्रोकरेज ने शेयर बाजारों और आमदनी के अपने अनुमान में भी कमी की है। सुनील कौल की अगुवाई में गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्रियों ने विस्तृत नोट में कहा कि महामारी के मामले रेकॉर्ड पर पहुंचने और कई प्रमुख राज्यों की ओर से सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से बढ़ोतरी को लेकर चिंता पैदा हुई है। इससे निवेशक वृहद अर्थव्यवस्था और आमदनी में सुधार को लेकर आशंकित हैं। नोट में उम्मीद जताई है कि इन सब चीजों का कुल असर मामूली होगा, क्योंकि अंकुश कुछ क्षेत्रों में लगाए गए हैं। मूडीज भी अनुमान घटा चुका है।

जुलाई से फिर पकड़ेगी रफ्तार-
गोल्डमैन सैश ने इसके साथ 2021 में आमदनी में बढ़ोतरी के अनुमान को 27 फीसदी से घटाकर 24 फीसदी कर दिया है। ब्रोकरेज का अनुमान है कि अंकुशों में ढील और टीकाकरण की रफ्तार बढऩे के बाद जुलाई से पुनरुद्धार फिर शुरू होगा। भारत में कोविड के मामले रोजाना नए रेकॉर्ड पर पहुंच रहे हैं। साथ ही विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन भी लगातार बढ़ रहा है।

शेयर बाजार में भी भरोसे का संकट –
नो ट में कहा गया है कि भरोसे का संकट शेयर बाजार में भी दिख रहा है। निफ्टी में सोमवार को अकेले 3.5 फीसदी का नुकसान हुआ। गोल्डमैन सैश ने दूसरी यानी जून तिमाही के ग्रोथ के अनुमान को कम किया है। हालांकि उसने इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया है।

मूडीज का अनुमान-
आर्थिक सुधार को कर सकती कमजोर-
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने मंगलवार को कहा कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर वित्त वर्ष 22 के लिए 13.7 फीसदी के ग्रोथ पूर्वानुमान के लिए जोखिम पैदा करती है, क्योंकि वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए उपायों को फिर से लागू करने से आर्थिक गतिविधि पर अंकुश लगेगा और बाजार व कंज्यूमर सेंटीमेंट्स को धक्का लग सकता है। दूसरी लहर को रोकने के लिए अप्रेल अंत तक सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से आर्थिक सुधार कमजोर हो सकता है। हालांकि रोकथाम के उपायों और टीकाकरण में प्रगति से क्रेडिट-निगेटिव प्रभाव को कम किया जा सकेगा।

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