
हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन कैश में करना पड़ सकता है महंगा (PC: Gemini)
सीबीडीटी ने हाल ही में कहा था कि अब वह अपने निगरानी सिस्टम में एआई का भी इस्तेमाल कर रहा है। यानी अब सीबीडीटी और आयकर विभाग एआई के जरिए भी टैक्स चोरी पकड़ रहे हैं। अगर आप सोचते हैं कि आप टैक्स चोरी करके सरकार की नजर से बच जाएंगे, तो यह आपकी गलतफहमी है। आयकर विभाग हाई वैल्यू ट्रांजेक्शंस पर कड़ी नजर रखता है। बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा यूपीआई, कार्ड पेमेंट, कैश डिपॉजिट और निकासी में हाई वैल्यू ट्रांजेक्शंस की जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है।
आयकर विभाग आपके खर्चों और आय के बीच के अंतर को पकड़ने के लिए डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहा है। आयकर विभाग बैंक स्टेटमेंट के साथ-साथ, निवेश, प्रॉपर्टी डील्स और ट्रैवल से संबंधित जानकारी भी आपकी कंपनी, ट्रैवल एजेंसी या स्टॉक एक्सचेंज से लेता है। यदि कोई विसंगति पाई जाती है, तो विभाग नोटिस भेज सकता है और जांच भी शुरू की जा सकता है। कर अधिकारी हाई वैल्यू के कैश लेनदेन पर नजर रखते हैं। आइए ऐसे 5 कैश लेनदेन के बारे में जानते हैं, जो आपको आयकर विभाग की रडार पर ला सकते हैं:
यदि आपने एक वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में 10 लाख रुपये या उससे अधिक कैश जमा किया है, चाहे वह राशि एक ही खाते में हो या कई खातों में मिलाकर हो, तो बैंक इसकी जानकारी आयकर विभाग को देगा। इसका मतलब यह नहीं है कि आपने कर चोरी की है, लेकिन विभाग आपसे पूछ सकता है कि आपको इतना पैसा कहां से मिला। यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता है या आपकी आय से मेल नहीं खाता है, तो जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
बड़ी संख्या में लोग एफडी में पैसा लगाना पसंद करते हैं। लेकिन, अगर आप एक साल में 10 लाख रुपये या उससे ज़्यादा की एफडी कैश में करते हैं, तो यह भी आयकर विभाग की नजर में आ सकता है। भले ही आपने यह राशि कई बैंकों में जमा की हो, अगर कुल राशि 10 लाख रुपये से ज्यादा है, तो इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग को की जाएगी। इसलिए, एफडी में इस्तेमाल किए गए पैसे का सोर्स स्पष्ट होना चाहिए।
यदि आप 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा का नकद निवेश करते हैं, जैसे कि शेयरों, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स या डिबेंचर्स में, तो इसकी जानकारी भी आयकर विभाग के पास जाती है। यह जरूरी नहीं है कि आपको तुरंत नोटिस मिले, लेकिन अगर आपकी आय और निवेश के बीच बड़ा अंतर पाया जाता है, तो जांच हो सकती है। नकद में निवेश करने पर संदेह होता है, क्योंकि इसका कोई डिजिटल रिकॉर्ड नहीं होता है।
यदि आप हर महीने 1 लाख रुपये या उससे ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल कैश में चुकाते हैं, तो यह भी आयकर विभाग के रिकॉर्ड में आ जाता है। इसके लिए सीधा नोटिस तो नहीं मिलता, लेकिन यदि आप बार-बार ऐसा करते हैं, तो यह सवाल उठ सकता है कि आपको इतनी नकदी कहां से मिली। इसलिए, इस तरह के बड़े लेनदेन को डिजिटल माध्यम से करना बेहतर है।
यदि आप 30 लाख रुपये या उससे अधिक की कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो आपको उस राशि का सोर्स बताना होगा। शहरों में यह सीमा 50 लाख रुपये और ग्रामीण इलाकों में 20 लाख रुपये है। कुछ राज्यों में यह सीमा और भी कड़ी हो सकती है। यदि आपने नकद में भुगतान किया और उसका सोर्स नहीं बताया, तो आयकर विभाग आपसे इसका प्रूफ मांग सकता है। आप इसे रजिस्ट्रेशन के कागजात में दिखा सकते हैं या फॉर्म 26QB के माध्यम से जानकारी दे सकते हैं।
नोटिस आने पर घबराने की कोई बात नहीं है। अगर आपके पास रकम का लीगल सोर्स है, तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। नोटिस के जवाब में आपको बैंक स्टेटमेंट, इन्वेस्टमेंट का प्रूफ और कैश के सोर्स का प्रूफ (जैसे विरासत में मिली, व्यापार से हुई आय आदि) बताना होगा।
Published on:
16 Aug 2025 10:00 am
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