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अब चावल के निर्यात पर भी रोक लगा सकती है केंद्र सरकार, PMO की एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव

महंगाई पर काबू पाने के लिए गेहूँ और चीनी के निर्यात पर बैन लगाने के बाद अब केंद्र सरकार चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर सकती है। पीएमओ की एक्सपर्ट कमेटी ने सुझाव दिया है।

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महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार जहां एक तरफ जरूरी आयातित वस्तुओं पर आयात शुल्क घटा रही है, वहीं निर्यात होने वाले प्रोडक्ट्स पर निर्यात शुल्क बढ़ा रही है और इनके निर्यात को सीमित करने के साथ प्रतिबंध भी लगा रही है। गेहूं के निर्यात पर रोक और चीनी के निर्यात को सीमित करने के बाद अब केंद्र राइस एक्सपोर्ट यानी चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। हालांकि दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अभी ऐसी कोई योजना नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार की कोशिश है कि घरेलू बाजार में चावल की पर्याप्त आपूर्ति बनाई रखी जाए और कीमत में वृद्धि को काबू में रखा जाए। चावल के निर्यात पर रोक लगाने की सलाह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से गठित एक समिति ने दिया है। पीएमओ की यह समिति हर जरूरी कमोडिटी के लिए प्रोडक्ट टू प्रोडक्ट एनालिसिस कर रही है।

दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। चीन के बाद भारत में सबसे अधिक चावल की पैदावार होती है। भारत ने साल 2021-22 में दुनियाभर के 150 देशों को चावल का निर्यात किया था। पर मौजूदा वर्ष में महंगाई चिंता बनी हुई है। भारत में खुदरा महंगाई की दर अप्रेल में 8 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। मोदी सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है।समिति ने सुझाव दिया है कि अगर चावल की कीमत में वृद्धि की कोई भी संभावना नजर आती है तो निर्यात पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया जाए। एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार 5 प्रोडक्ट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है। इसमें गेहूं और चीनी पहले से ही कवर किए गए हैं। समिति हर प्रोडक्ट पर मीटिंग कर रही है और जरूरी एक्शन का सुझाव दे रही है।

देश में ऐसे बढ़ा है धान का उत्पादन

वर्ष पैदावार

2015-17 10.44

2016-17 10.97

2017-18 11.27

2018-19 11.64

2019-20 11.88

2020-21 12.22

2021-22 12.79

(आंकड़े करोड़ टन में)

चावल का श्रेणीवार निर्यात और उत्पादन, एक नजर में