
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। खासकर बैकिंग सेक्टर की गतिविधियों को। दूसरी लहर की वजह से लोगों की जेबें भी बड़े पैमाने पर ढीली हुईं। पिछले तीन महीनों के दौरान ऑटोमेटिक डेबिट होने वाले ईएमआई ट्रांजेक्शन के फेल के होने की संख्या देखकर तो ऐसा ही लगता है। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( NPCI ) के मुताबिक जून माह में ऑटो डेबिट EMI के फेल या बाउंस होने की संख्या में आश्चर्यजनक इजाफा हुआ है।
जून 37% ट्रांजेक्शन हुए फेल
नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( National Payment Corporation of India ) के डेटा के मुताबिक सभी बैंकों के ऑटो डेबिट EMI सेक्शन को मिलाकर जून महीने में कुल 37 फीसदी ट्रांजेक्शन फेल या बाउंस हो हुए। नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस ( NACH ) के जरिए जून में कुल 8.7 करोड़ ऑटो डेबिट EMI की रिक्वेस्ट प्रोसेस की गई लेकिन इसमें से करीब 37 फीसदी यानि कि 3.2 करोड़ ट्रांजैक्शन फेल हो गया। ऐसा खातों में पर्याप्त बैलेंस न होने की वजह से हुए हैं।
मई में 36% ट्रांजेक्शन फेल
इसी तरह मई में कुल 8.5 करोड़ ट्रांजेक्शन के रिक्वेस्ट आए थे जिसमें से 3.08 करोड़ ट्रांजेक्शन फेल या बाउंस हो गए थे, जिसका मतलब है कि 36 फीसदी ट्रांजेक्शन खातों में पर्याप्त बैलेंस न होने की वजह से फेल हुए थे। इससे पहले अप्रैल में कुल 34 फीसदी ऑटो डेबिट EMI ट्रांजैक्शन फेल या बाउंस हो गए थे। यानि अप्रैल, मई और जून में फेल हुए कुल ट्रांजेक्शन की संख्या 35 फीसदी से अधिक रहा। अमाउंट के हिसाब से देखें तो पिछले जून और मई में लगातार कुल ऑटो डेबिट राशि के 30 फीसदी ट्रांजैक्शन बाउंस हो रहे हैं। वहीं अप्रैल में 27.9 फीसदी ट्रांजेक्शन फेल हो गए थे।
ग्राहकों के सिबिल स्कोर हुए खराब
इसका सीधा असर ग्राहकों के CIBIL स्कोर पर भी हुआ है। ऐसे ग्राहकों के सिबिल स्कोर खराब हुए हैं। वर्तमान में अनलॉक के बावजूद लोग अपने EMI का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहे हैं। पिछले तीन महीनें से लगातार बढ़ती ऑटो डेबिट ट्रांजेक्शन के फेल होने की संख्या बताती है कि कोरोना की दूसरी लहर देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ है।
Updated on:
13 Jul 2021 10:13 pm
Published on:
13 Jul 2021 09:40 pm
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