
मानसून के बेहतर रहने से आगे विकास को गति मिलने और कृषि पैदावार बढऩे से महंगाई नियंत्रित करने में मदद मिलने की उम्मीद पर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से प्रमुख नीतिगत दरों में मंगलवार को एक चौथाई फीसदी की कटौती कर दी है। आरबीआई के इस कदम से अब कार, आवास और दूसरे ऋणों के सस्ते होने की उम्मीद बनी है।
उर्जित पटेल के रिजर्व बैंक के गवर्नर बनने के साथ ही रिजर्व बैंक अधिनियम को संशोधित कर बनाई गई मौद्रिक नीति समिति की यह पहली मौद्रिक नीति की समीक्षा थी। छह सदस्यीय समिति के अध्यक्ष आरबीआई गवर्नर हैं।
समिति के सभी सदस्यों ने नीतिगत दरों में एक चौथाई फीसदी की कटौती किए जाने का समर्थन किया और उसी के अनुरूप ब्याज दरों में कटौती की गई है।
इस कमी के बाद रेपो दर 0.25 फीसदी घटकर 6.25 प्रतिशत, रिसर्व रेपो दर 0.25 प्रतिशत कम होकर 5.75 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी भी एक चौथाई फीसदी घटकर 6.75 फीसदी और बैंक दर 0.25 प्रतिशत कम होकर 6.75 प्रतिशत हो गई है।
हालांकि, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 4 फीसदी पर यथावत है।
समिति की बैठक के जारी बयान में कहा गया है कि विकास को गति देते हुये चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में महंगाई को 5 प्रतिशत पर रखने तथा मध्यावधि में इसके चार प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य के साथ नीतिगत दरों में यह कटौती करने का निर्णय लिया गया है।
Published on:
05 Oct 2016 07:00 am
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