
Russia-Ukraine conflict to further worsen chip shortage
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जियो पोलिटिकल संघर्ष में एक और बड़ी समस्या उतपन्न होने की संभावना है और वो समस्या है सेमीकंडक्टर चिप की। पैलेडियम और नियॉन दो ऐसी चीजें हैं जो सेमीकंडक्टर चिप्स के उत्पादन के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। रूस पैलेडियम की दुनिया की 40 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति करता है जबकि यूक्रेन नियॉन की वैश्विक आपूर्ति का 70 प्रतिशत उत्पादन करता है। इन दोनों ही देशों में सैन्य संघर्ष जारी रहने से वैश्विक स्तर पर चिप की कमी और बढ़ा सकती है। मूडीज एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में इस कमी पर प्रकाश डाला है। वाशिंग मशीन हो या माइक्रोवेव, फ्रिज, मोबाइल, लैपटॉप जैसी सभी चीजों में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में पहले से ही सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहे विश्व को और बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल, गाड़ी, घड़ी और लगभग सभी गैजेट में इस्तेमाल होने वाले चिप्स दुनियाभर में केवल 3 देशों में ही बनते हैं। इन सामानों को बनाने के लिए कच्चा माल अधिकतर यूक्रेन और रूस में ही बनता है। पहले ही कोरोना काल के कारण दुनियाभर में चिप संकट गहराय हुआ था और इस जंग ने इसे और बढ़ा दिया है। MAIT के CEO जॉर्ज पॉल ने इसपर कहा कि यूक्रेन और रूस में जंग की वजह से यूक्रेन की निर्यात क्षमता पर गहरा असर पड़ा है। रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। इसका सबसे अधिक प्रभाव यूरोप पर पड़ा है।
किन चीजों पर पड़ेगा असर
यूक्रेन तेल, गैस यूरेनियम जैसी चीजों की सप्लाइ करता है परंतु युद्ध के कारण इन सामानों के सप्लाइ पर प्रभाव पड़ा है। सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए नियॉन, हीलियम, पैलेडियम जैसी चीजें काफी महत्वपूर्ण होती हैं।
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फ्रिज, वाशिंग मशीन भी हो सकते हैं महंगे
वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, फ्रिज, मोबाइल फोन, लैपटॉप इन सभी में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है। नियॉन, हीलियम, पैलेडियम का इस्तेमाल सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए होता है। सेमीकंडक्टर के निर्माण के प्रभावित होने से सभी टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट के निर्माण पर असर पड़ेगा। संभावना है कि ये सभी अब महंगे हो सकते हैं क्योंकि कोई ऐसा प्रोडक्ट शायद ही होगा जिसमें सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल न हो।
मूडीज एनालिटिक्स ने भी रिपोर्ट में बताया है कि "यूक्रेन में 2014-2015 के युद्ध के दौरान, नियॉन की कीमतें कई गुना बढ़ गईं थीं। ये दर्शाता है कि सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए ये कितनी गंभीर समस्या है।"
पूरी विश्व पर पड़ेगा असर
यूक्रेन और रुस से तेल, गैस जैसे कई महत्वपूर्ण प्रोडक्ट निर्यात होते हैं। ऐसे में वैश्विक सप्लाइ चेन पर असर पड़ेगा। भारत सेमीकंडक्टर बनाने को लेकर आत्मनिर्भर होने के लिए प्रयासरत है परंतु इसके लिए अभी 5-10 वर्ष लग जाएंगे।
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Updated on:
05 Mar 2022 10:43 am
Published on:
05 Mar 2022 10:41 am
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