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बोले आरबीआई गवर्नर, नई सोच से स्थायी विकास संभव

रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने शनिवार को कहा कि चिरस्थायी आर्थिक विकास के लिए नई सोच, उत्पादन के नए तरीकों और बेहतर लॉजिस्टिक्स की जरूरत है।

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ramdeep mishra

Oct 31, 2015

रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने शनिवार को कहा कि चिरस्थायी आर्थिक विकास के लिए नई सोच, उत्पादन के नए तरीकों और बेहतर लॉजिस्टिक्स की जरूरत है, न कि सिर्फ ज्यादा से ज्यादा श्रम शक्ति और पूंजी झोंकने की।

राजन ने यहां आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रम शक्ति और पूंजी और उत्पादन के अन्य कारकों पर निवेश कर क्षणिक विकास हासिल किया जा सकता है। चूंकि, भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी सीमांत उत्पादन की स्थिति से काफी पीछे है, इसलिए पश्चिमी देशों की तकनीकों का अनुकरण कर हम कुछ ज्यादा समय तक विकास कर सकते हैं, लेकिन चिरस्थायी विकास के लिए इन कारकों के बीच कुशलतापूर्वक सामांजस्य बिठाना जरूरी है।

तीस साल पहले आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में पासआउट आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसी बात को दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि नई सोच, उत्पादन के नए तरीकों और बेहतर लॉजिस्टिक्स से स्थायी विकास संभव है।

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उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के पुराने तरीकों को अपनाने की बजाय काम करने के कुशल तरीकों को अपनाकर हम तुरंत उत्पादन की अधिकतम सीमा के करीब पहुंच जाएंगे, जैसा कि हमने सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में किया है और निस्संदेह, एक बार आप दुनिया की उन्नततम तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए उस सीमा पर पहुंच गए तो आगे बढऩे का एक मात्र रास्ता नवाचार रह जाता है, ताकि हम दुनिया के किसी भी देश से बेहतर रहें।


राजन ने अपने संबोधन में सोच की स्वच्छंदता के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि विरोधी और अलग सोच को भी जगह मिलनी चाहिए और हमें उन पर ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए। यह मायने नहीं रखता कि सोच सदियों पुरानी है या बिल्कुल नई, किसी विद्वान की है या किसी नौसिखिए छात्र की, देसी है विदेशी।

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उन्होंने कहा कि समाज को सहिष्णु होने की जरूरत है। किसी भी नई सोच को जल्दबाजी में प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए। हालांकि, यदि इससे किसी को शारीरिक नुकसान होता है तो उसकी अनुमति भी नहीं दी जानी चाहिए।