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Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा असर, जानिए कैसे

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से यूक्रेन में डोनबास क्षेत्र में एक सैन्य अभियान को अधिकृत करने की घोषणा के बाद सितंबर 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमतों बड़ा उछाल देखने को मिला है। क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं। वहीं भारतीय शेयर बाजार में भी खासी गिरावट दर्ज की गई है। युद्ध के चलते उपजे हालातों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भी चिंता बढ़ गई है।

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Ukraine Russia War Sensex Got Biggest Fall Brent Crude Prices know Impact On Indian Economy

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रूस और यूक्रेक के बीच छिड़ी जंग के बाद तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। वहीं वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। जबकि 1 दिसंबर, 2021 से तेल कीमत 40 प्रतिशत बढ़कर 101.2 डॉलर (सुबह 10.10 बजे) हो गया। वहीं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में बेंचमार्क सेंसेक्स 1,750 अंक से अधिक गिरकर 55,504 पर आ गया। 55,148 का निचला स्तर। रुपया भी 40 पैसे या 0.5 फीसदी की गिरावट के साथ 75.1 अमरीकी डॉलर पर आ गया। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन के ऊपर सैन्य हमला कर दिया और इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर ऐसा असर हुआ कि बाजार खुलते ही सेंसेक्स 1800 अंक गिर गया। निफ्टी में 500 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। इन सब के दौरान तीसरे विश्व युद्ध की आहट के बीच भारत के लिए भी चिंता के बादल मंडराने लगे हैं।


क्रूड क्यों उछला ?

युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमत (Crude oil) अंतरराष्ट्रीय बाजार में 7 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। क्रूड ऑयल में 4.65 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। यह भाव ब्रेंट क्रूड का भाव 101.49 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। वहीं, डब्ल्यूटीआई भी 4.84 फीसद की उछाल केसाथ 96.56 डॉलर पर पहुंच गया है।

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दरअसल यूक्रेन पर रूसी आक्रमण न सिर्फ विश्व स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति को बाधित कर सकता है, बल्कि अमरीका और यूरोप की ओर से प्रतिबंध भी लगा सकता है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के बाद आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ गई है।


कोरोना के ओमिक्रॉन लहर के थमने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के खुलने और सामान्य होने के बाद मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन पर भी चिंता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सीथा असर भारत में महंगाई के तौर पर दिखाई देगा। भारत अपनी तेल आवश्यकता का 80फीसदी से ज्यादा आयात करता है, लेकिन इसके कुल आयात में तेल आयात का हिस्सा लगभग 25 फीसदी है। कच्चे तेल का आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करना होगा।
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने की भी उम्मीद है, जिससे सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी होगी।



लोगों पर क्या होगा असर

कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार हैं। ये कीमतें 2021 में पहले भी भारत में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं। हालांकि नवंबर में इनमें गिरावट आई क्योंकि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की। लेकिन अब ये फिर बढ़ने के आसार हैं।

सोना भी हो गया महंगा

इस बीच मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोना 51,500 रुपए के पार पहुंच गया है। गुरुवार सुबह सोना 1200 रुपए उछाल कर 51510 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था।

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