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25 लाख रुपये ग्रेच्युटी पर भी क्यों इस योजना से दूर भाग रहे सरकारी कर्मचारी?

UPS में दावा करने के लिए लंबा फॉर्म भरना, प्रमाणपत्र जमा करना और विभागीय स्वीकृति की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

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भारत

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Ashish Deep

Jul 31, 2025

High Court's Important Decision on Pension for MP Employees

High Court's Important Decision on Pension for MP Employees (photo-patrika)

सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत काम करने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए Unified Pension Scheme (UPS) की शुरुआत की थी। इसे आकर्षक बनाने के लिए कार्मिक मंत्रालय ने 25 लाख रुपये की ग्रेच्युटी का भी बेनिफिट शामिल किया था। इसका उद्देश्य था कि NPS के कर्मचारियों को भी पारंपरिक पेंशन योजनाओं की तरह कुछ अतिरिक्त बेनिफपिट दिए जाएं। लेकिन यह आकर्षण भी सरकारी कर्मचारियों को नहीं भा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि UPS के अंतर्गत पात्र 25,756 रिटायर कर्मियों में से अब तक केवल 7,253 ने ही दावा किया है और इनमें से भी केवल 4,978 दावों का ही निपटारा हुआ है। सवाल यह है कि जब योजना फायदेमंद दिख रही है, तो इसके सब्सक्राइबर बढ़ क्यों नहीं रहे? जानकार बताते हैं कि सरकारी कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

जानकारी की कमी और भ्रम

संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री आरके वर्मा बताते हैं कि UPS को लेकर कई रिटायर कर्मियों और उनके परिवारों को सही जानकारी नहीं है। बहुत से कर्मचारियों को यह ही नहीं पता कि वे इस योजना के पात्र हैं या नहीं। इसके अलावा UPS को लेकर तकनीकी शब्दावली, नियमों और विकल्पों को समझना आम कर्मचारियों के लिए जटिल है। UPS के तहत मिलने वाले लाभों और NPS के मौजूदा लाभों में फर्क समझना कठिन है, जिससे लोग इसे अपनाने से बच रहे हैं।

प्रोसेस का कठिन होना

सरकारी योजनाओं की सबसे बड़ी चुनौती उसके प्रोसेस का जटिल होना होता है। UPS में दावा करने के लिए लंबा फॉर्म भरना, प्रमाणपत्र जमा करना और विभागीय स्वीकृति की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। अब तक 7,253 दावे आए लेकिन इनमें से भी करीब 30% दावे अभी लंबित हैं। इससे अन्य कर्मचारी हतोत्साहित हो जाते हैं और योजना पर भरोसा नहीं कर पाते।

कम कर्मचारी हो रहे कवर

UPS केवल उन्हीं केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू है, जो 31 मार्च 2025 से पहले रिटायर हुए हैं और जिन्होंने 10 साल या उससे ज्यादा सेवा की हो। यह सीमा बहुत से कर्मचारियों को बाहर कर देती है। साथ ही, योजना में यह भी प्रावधान है कि अगर सेवा के दौरान मृत्यु या असमर्थता हो, तभी अतिरिक्त फायदे मिलेंगे। इससे बहुत से लोग इसे आकर्षक नहीं मानते और UPS को अपनाने से हिचकते हैं।

पेंशन नियम को लेकर असमंजस की स्थिति

वर्मा के मुताबिक पेंशन जैसे मुद्दों पर सरकारी नीतियों में स्थिरता न होना भी बड़ी वजह है। कर्मचारी सोचते हैं कि आने वाली सरकारें UPS को जारी रखेंगी या नहीं? कई कर्मचारी मानते हैं कि NPS के तहत मिलने वाली गारंटीड रकम भले कम हो, लेकिन वह फिक्स होगी, जबकि UPS में नीति बदलने की संभावना रहती है। यह अनिश्चितता UPS में भरोसे की सबसे बड़ी कमी पैदा करती है।

कर्मचारी संगठनों ने खुलकर समर्थन नहीं किया

हालांकि सरकार ने कर्मचारी संघों की मांग पर UPS को लेकर कुछ बदलाव किए, मसलन कट-ऑफ डेट 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है। लेकिन अधिकांश कर्मचारी संगठनों ने UPS को लेकर पूरी तरह जागरूकता नहीं फैलाई। जिस तरीके से OPS (Old Pension Scheme) की वापसी के लिए आंदोलन हुए, UPS के लिए वैसी सक्रियता नहीं दिखी। इसका असर UPS के प्रचार और उसे अपनाने पर पड़ा।