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नए लुक में वापसी कर रही है एंबेसडर कार देखते ही देखते एंबेसडर कार भारत के बड़े-बड़े अधिकारियों और नेताओं के पास भी पहुंच गई और सबके दिलों में छा गई। ये कार इतनी फेमस हुई थी की इस कार के ऊपर लाल बत्ती दिखना लोगों के लिए आम सी बात हो गई थी। कार का प्रचार करते समय भी ये बात कही गई थी कि “हम असली नेताओं के प्रेरक हैं”। ये कार भारत में सबकी पसंदीदा कारों में से एक बन गई थी और लोग इस कार की अहमियत समझने लगे थे।
एंबेसडर से जुड़े किस्से ये किस्सा पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा है। चाचा नेहरू ऐसे तो भारतीय कारों का ही इस्तेमाल करते थे, पर जब भी विदेशों से कोई मेहमान आते थे तो कैडिलैक का इस्तेमाल करते थे। जब विदेश मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नेहरू जी से इस बात का कारण पूछा तो उन्होंने बताया, ‘विदेशों में भी पता चल सके कि भारत के पीएम भी कैडिलैक जैसी कारों से घूम सकते हैं।’
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प्रधानमंत्री मोदी के पास थी ऐसी कार जिसे बेंचकर उन्होंने किया कुछ ऐसा लेकिन शास्त्री जी भारत की बनी कार एंबेसडर से ही सफर करते थे। उनका कहना था कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि बाकी लोग क्या सोचते हैं। वे भारतीय कार एंबेसडर से ही हर जगह आते-जाते थे। 1990 तक एंबेसडर कार ने विदेशों तक अपनी पकड़ अच्छी बना ली थी। फिर धीरे-धीरे विदेश की दूसरी कारें आना शुरू हुईं और एंबेसडर कार का चलन समाप्त होता चला गया।
अंत में ऐसा समय आया कि इंडियन मोटर्स ने 2014 में एंबेसडर कारों का उत्पादन बंद कर दिया। एंबेसडर बहुत ही लंबे समय तक सबके दिलों में छाई रही और भारत की सड़कों पर घूमती रही। आज भी लोगों को एंबेसडर कार का महत्व याद है।