
नई दिल्ली:mercedes ने अपनी साढ़े सात लाख कारों को वापस मंगाया है । ये पहली बार नहीं हैं जब किसी कंपनी ने अपनी कारों को खराबी के चलते रीकॉल किया है। ये तो आपको भी पता होगा कि कार में डिफेक्ट के चलते कंपनियां कुछ यूनिट्स को रीकॉल करती है और कार की उस खराबी को ठीक कराने के बाद कस्टमर्स को उनकी गाड़ियां वापस कर दी जाती है लेकिन क्या आपको पता है कि कार के रीकॉल का असर आपकी कार के इंश्योरेंस पर भी पड़ता है। ऐसा देखा जाता है कि कई बार कार रीकॉल करने के बावजूद भी ग्राहक इसे कंपनी को नहीं सौंपते हैं ऐसे मामलों में कई बार कंपनी उस कार का दुर्घटना क्लेम रिजेक्ट कर देती है।
जानकारी के मुताबिक़ अगर कंपनी का सर्वे यह साबित कर देता है कि दुर्घटना की वजह कार के उस पार्ट्स से संबंधित है, जिसके लिए ऑटो कंपनी ने पूर्व में कार रीकॉल की थी, तो उस ग्राहक का दावा निश्चित रूप से खारिज कर दिया जाएगा। इसलिए ग्राहक को कार रिकॉल में हिस्सा लेना बेहद जरूरी है। समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी दोनों ही स्थिति में ग्राहक को इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।
कंपनी देती है सूचना
ऑटो कंपनियां कार रीकॉल के लिए ग्राहकों को ई-मेल और मोबाइल के जरिए सूचित करती हैं। इसके अलावा कंपनियां कार रीकॉल संबंधित समस्या को कार सर्विसिंग के दौरान भी ठीक कर देती है, जिसका पता ग्राहक को भी नहीं चलता, यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का झटका
कार रीकॉल ( car recall ) में हिस्सा न लेने का असर एक्सीडेंट क्लेम पर पड़ता है। अगर कार एक्सीडेंट में पूरी तरह खत्म हो जाती है, तो कस्टमर को क्लेम के हिसाब से कार की कीमत नहीं मिलती, लेकिन अगर गाड़ी से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के रूप में भुगतना पड़ता है, जिसमें दावे की कोई सीमा नहीं होती।
यानि समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी भले ही आप उस समस्या को न महसूस करते हों लेकिन अगर आपकी कार रीकॉल प्रोसेस के दायरे में आती है तो उसे सबमिट जरूर करें ताकि एक्सीडेंट की सूरत में आप इंश्योरेंस क्लेम कर पाएं।
Published on:
06 Jan 2020 12:05 pm
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