
नई दिल्ली: कार का इंजन इसकी ड्राइव के लिए बेहद जरूरी होता है लेकिन कार का एक और पार्ट है जिसके खराब होने पर गाड़ी चलाना पॉसिबल ही नहीं होता। हम बात कर रहे हैं कार के टायर्स की । अगर टायर्स सही कंडीशन में हों तो न सिर्फ कार ड्राइव करने में आसानी होगी बल्कि एक्सीडेंट्स की संख्या में भी कमी देखने को मिलेगी। इसीलिए आज हम आपको कार के टायर्स की देखभाल के बारे में कुछ बाते बताएंगे-
2 तरह के होते हैं टायर्स
एक ट्यूब वाला और दूसरा ट्यूबलेस टायर होता है। आजकल ट्यूबलेस टायर अधिक चलन में है। ट़यूब वाले टायर आमतौर पर कम कीमत के होते हैं। ट्यूब और टायर के बीच होने वाले फ्रिक्शन की वजह से ये टायर जल्दी गर्म हो जाता है और इसीलिए ऐसे टायर पंक्चर भी जल्दी होते हैं। यही वजह है कि आजकल लोग ट्यूबलेस टायर खरीदना पसंद करते हैं।
टायर की पूरी जानकारी लें-
सभी गाड़ियों में लगने वाले टायर एक-दूसरे से अलग होते हैं। उसकी जानकारी टायर के साइड में लिखी होती है। जेसे अगर कार के टायर पर अगर P लिखा है। 'P' का मतलब होता है टायर पैसेंजर कार का है। कार के टायर पर यह नंबर P215/55R15 90S अंकित है। इसका मतलब है कि टायर की चौड़ाई 215mm है, 55 का मतलब ऑस्फेक्ट रेशियो और R का मतलब रेडियल होता है जबकि 15 का मतलैब होता रिम का साइज।
ओवर लोडिंग से बचें-
वाहन की कैपासिटी के बराबर ही सामान रखना चाइये। क्योंकि ज्यादा लोड करने से गाड़ी की परफॉरमेंस और टायर्स पर बुरा असर पड़ता है
स्पीड के हिसाब से दी जाती है रेटिंग-
हर टायर मैक्सिमम स्पीड पहले से तय होती है। इसके लिए A1 से लेकर Y तक की रेटिंग दी जाती है। A1 रेटिंग वाले टायर 5 kmph और Y रेटिंग वाले टायर 300kmph की मैक्सिमम स्पीड पर चल सकते हैं।
40,000 किलोमीटर चलने के बाद टायर बदल देना चाहिए अगर आपको लगता है कि टायर ठीक है तो हद से ज्यादा 50000 किमी चलाने के बाद टायर को बदल दें।
Updated on:
22 Oct 2019 03:45 pm
Published on:
22 Oct 2019 03:41 pm
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