
protest file photo
(चंडीगढ): सिख पंथ के मुद्यों पर आरोपों से घिरे अकाली दल ने सोमवार को यहां पंजाब के स्कूली पाठ्यक्रम में सिख इतिहास को तोडने-मरोडने के विरोध में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास की ओर आक्रामक मार्च किया। मार्च के दौरान कैप्टेन सरकार और कांग्रेस सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाते नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस जवानों ने रोकने का प्रयास किया तो हाथापाई होती नजर आई। पुलिस अकाली दल अध्यक्ष सुखवीर बादल और अन्य नेताओं को हिरासत में लेते हुए बस में थाने ले गई तो वहां भी धरना शुरू करते हुए सिख इतिहास से छेडछाड के विरोध में रोष जताया गया।
प्रशासन की ओर से नाकाफी बंदोबस्त
हिरासत में लिए गए नेताओं में पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया और सांसद बलविंदर सिंह भुंडर भी शामिल थे। विरोध मार्च करने वाले अकाली दल कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोकने के लिए लगाए गए बेरीकेड भी ठेलते हुए पुलिस इंतजामों को नाकाफी साबित कर दिया। लेकिन पुलिस ने उनके आगे बसें खडी कर ठहरने को मजबूर कर दिया। बाद में पुलिस नेताओं और कार्यकर्ताओं को बस में थाने ले गई। वहां भी पंजाब की कैप्टेन अमरिंदर सिंह के नेतृृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सिख इतिहास से छेडछाड का विरोध किया गया। इस मौके पर सुखवीर बादल ने कहा कि इस गलती के लिए मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह माफी मांगें। इसके साथ ही इस तरह की गलती को भविष्य में रोकने के लिए कदम उठाएं।
शहादत को नकारा
विरोध मार्च के दौरान ही कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अकाली दल के प्रवक्ता डाॅ दलजीत चीमा ने कहा कि यह कोई सोच भी नहीं सकता था कि स्कूली पाठ्यक्रम में सिख इतिहास को इस तरह बदला जायेगा कि गुरू अर्जुनदेव की शहादत को ही नकार दिया जाएगा। गुरू गोविन्दसिंह के बारे में लिखा जाएगा कि उन्होंने एक गांव में लूटपाट की थी और वे जंग का मैदान छोड गए।
सिख पंथ के मुद्यों पर पिछड़ता नजर आ रहे अकाली
पंजाब में सिख पंथ के मुद्यों पर अकाली दल पिछडता नजर आ रहा है। वर्ष 2015 में अकाली दल के नेतृृत्व वाली सरकार के दौरान हुई गुरू ग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं और इन घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग की घटनाओं कोे लेकर अकाली दल को सिख पंथ विरोधी ठहराया जा रहा है।
कांग्रेस और आप ने अकाली दल को घेरा
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अकाली दल पर लगातार आरोप लगाए है। इसके बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार द्वारा गठित रणजीत सिंह कमीशन ने गुरू ग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं के पीछे सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों को दोषी बताने के साथ-साथ वोट बैंक की खातिर अकाली दल का डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के साथ सांठगांठ होना भी बताया गया। ऐसे आरोपों से घिरे अकाली दल को सिख मुद्यों पर आंदोलन कर पंथ के बीच सिमटते अपने जनाधार को बचाने की चुनौती है। अकाली दल ने इसी सिलसिले में वर्ष 1984 के हिंसा पीडित सिखों को न्याय की मांग को लेकर दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था।
Published on:
05 Nov 2018 08:39 pm
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