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​​​​​संत कबीर को किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता-कोविंद

संत कबीर को किसी पंथ, जाति, भाषा में नहीं बांधा जा सकता। उनकी वाणी में समरसता, सरलता के साथ-साथ न्याय की शिक्षा मिलती है...

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(चण्डीगढ़): राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विश्वास जताते हुए कहा कि देश की लोकसभा के साथ-साथ विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में आने वाले मॉनसून सत्र में संविधान के तहत जनता के हित में निर्णय लिए जाएंगे। राष्ट्रपति रविवार को हरियाणा के फतेहाबाद में संत कबीर दास के जयंती समारोह में बतौर मुख्यअतिथि संबोधित कर रहे थे।


इस कार्यक्रम में दिल्ली,राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आए हुए थे। उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम मॉनसून आने के बाद आयोजित किया गया है और पूरे देश में मॉनसून आ चुका है। राष्ट्रपति ने हरियाणा सरकार द्धारा लोगों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं व नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने संत कबीर की जयंती हर जिले में मनाने का बहुत ही अच्छा निर्णय लिया है। सरकार द्धारा अन्य महापुरुषों की भी जयंतियां मनाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत की धरती से बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान की शुरुआत की गई और इस अभियान से पहले बेटियों की संख्या 1000 लडकों के प्रति काफी कम थी, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों और लोगों के सहयोग से लिंगानुपात में सुधार हुआ है। वे हरियाणा सरकार को इस सराहनीय सफलता के लिए हार्दिक बधाई देते है। उन्होंने हरियाणा के राज्यपाल प्रो कप्तान सिंह सोलंकी भी प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्यपाल समाज के दिव्यांग, मरीज और आपदा पीडितों के प्रति संवेदनशील रहते है।

उन्होंने कहा कि कबीर पंथ निरपेक्षता का मार्ग है और संविधान भी इसके लिए प्रतिबद्ध है। संत कबीर को किसी पंथ, जाति, भाषा में नहीं बांधा जा सकता। उनकी वाणी में समरसता, सरलता के साथ-साथ न्याय की शिक्षा मिलती है। संत कबीर के अलावा महात्मा गांधी, डॉ भीमराव अंबेडकर, दीन दयाल उपाध्याय के साथ-साथ अन्य महापुरुषों ने देश में समरसता, सरलता और ऊंच-नीच व भेदभाव को दूर करने कें चेतना जगाने का काम किया। उन्होंने उपस्थित लोगों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि आप सभी को पता है कि कबीर के परिवारजन बुनकर का काम करते थे और अपने जीवनयापन के लिए संत कबीर ने भी यह काम किया।


उन्होंने कहा कि संत कबीर ने उस समय समाज के ताने-बाने को एक रास्ता देने के लिए गरीब, उपेक्षित और पीडित को एक रास्ता दिखाया और लोग संत कबीर की वाणी सुनने लगे तथा उनके अनुयायी बने। उन्होंने कहा कि हमारे समाज की यह विडंबना है कि हमें कुल, जाति, क्षेत्र से जाना जाता है, जबकि असल में मानव को गुणों और अवगुणों से पहचाना जाना चाहिए, जिसके गुण श्रेष्ठ हैं वह महान हो जाता है। उन्होंने कहा कि संत कबीर इतने महान थे कि गुरु नानक देव जी भी अपने प्रवचनों में उनकी वाणी का उल्लेख करते हैं। इसी प्रकार पश्चिम के कई संतों ने भी संत कबीर का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि संत कबीर की शिक्षा जितनी उनके समय में मान्य थी, उतनी ही आज भी प्रासंगिक है और भविष्य में भी रहेगी।