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जीवन में एकाग्रता की शक्ति का करें विकास

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आदमी के जीवन में एकाग्रता की शक्ति होनी चाहिए।

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जीवन में एकाग्रता की शक्ति का करें विकास

कोयम्बत्तूर. आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आदमी के जीवन में एकाग्रता की शक्ति होनी चाहिए। एकाग्रता मन से संबंधित है। आदमी का मन व्यग्र भी हो सकता है तो एकाग्र भी हो सकता है।
अहिंसा यात्रा के तहत विहार कर रहे आचार्य ने गुरुवार को मेट्टूपाल्यम रोड क्षेत्र में प्रवचन के दौरान कहा कि आदमी का मन जब विभिन्न जगहों और विषयों पर घूमता है तो वह मन की व्यग्रता होती है और जब आदमी का मन किसी एक विषय वस्तु अथवा एक स्थान पर केन्द्रित हो जाता है तो वह मन की एकाग्रता होती है। आदमी का मन एक जगह टिकता है, वह मन की एकाग्रता होती है। आदमी को अपने मन को एकाग्र बनाने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि एकाग्रता एक शक्ति है। आदमी इस शक्ति का कैसा उपयोग करता है, यह उसके विवेक पर निर्भर करता है। आदमी अपने मन को अच्छे कार्यों में एकाग्र करने का प्रयास करे। आदमी मंत्र जप, प्रभु की भक्ति अथवा किसी के कल्याण में अपने मन को एकाग्र करने का प्रयास करे, वह वांछनीय है। ध्यान आदि के प्रयोग और प्रयास से मन को एकाग्र किया जा सकता है।
इस मौके पर मीरा अग्रवाल, मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष विनोद लुणिया, दीपशिखा लुणिया ने भी विचार व्यक्त किए।