सरकार और किसान संघों के प्रतिनिधियों की यह बैठक उत्तर-पूर्वी मानसून के विफल होने और किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं की पृष्ठभूमि में हुई है। इस बार मानसून से 62 फीसदी कम बरसात हुई है। सिंचित क्षेत्र सूख चुके हैं और खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। किसानों के आंदोलन को डीएमके, कांग्रेस, एमडीएमके और वीसीके ने समर्थन दिया था।