scriptभोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव | Four-day Pongal festival will begin with Bhogi | Patrika News

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

locationचेन्नईPublished: Jan 13, 2020 09:28:14 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

PONGAL : चार दिनी पोंगल की शुरुआत भोगी से होगी। उसके बाद तई पोंगल यानी सूर्य पोंगल, फिर माट्टू पोंगल और अंत में चौथे दिन काणुम पोंगल मनाया जाएगा। पोंगल के बाद मदुरै जिले के अलंगानल्लूर और अवनियापुरम सहित अन्य जिलों में जल्लीकट्टू की धूम रहेगी।

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

चेन्नई. तमिलनाडु के सबसे बड़े पर्व पोंगल की शुरुआत मंगलवार को भोगी से होगी। भोगी पोंगल पर पुरानी वस्तुएं जलाने का प्रचलन है। वायु सेवाएं अप्रभावित रहे इसलिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एयरपोर्ट के समीप बसे लोगों से धुआं फैलाने वाली वस्तुएं नहीं जलाने की अपील की है। सरकार ने पैतृक शहर और गांव जाकर पोंगल मनाने के लिए विशेष बस सेवाओं की व्यवस्था की है। दक्षिण रेलवे ने यात्री दबाव कम करने के लिए विशेष ट्रेनें भी चलाई है। रेलवे स्टेशनों पर भी भारी भीड़ देखी गई।

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

चार दिनी पोंगल की शुरुआत भोगी से होगी। उसके बाद १५ जनवरी को तई पोंगल यानी सूर्य पोंगल, १६ जनवरी को माट्टू पोंगल और १७ जनवरी को काणुम पोंगल मनाया जाएगा। पोंगल के बाद मदुरै जिले के अलंगानल्लूर और अवनियापुरम सहित अन्य जिलों में जल्लीकट्टू की धूम रहेगी। जल्लीकट्टू के आयोजन को लेकर तैयारियां जोरों पर है। अवनियापुरम जल्लीकट्टू को लेकर मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै शाखा ने रिटायर्ड जज की नियुक्ति कर दी है जो आयोजन समिति के अध्यक्ष होंगे।

पोंगल को लेकर बाजार भी चमन है। गन्ना, फूल, पोंगल सामग्री और फलों की बिक्री बड़ी है। थोक और खुदरा बाजारों में ग्राहक उमड़ रहे हैं। भोगी को लेकर पुलिस और प्रशासन ने हिदायत दी है कि प्लास्टिक, टायर आदि वस्तुएं जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करें। महानगर में सुबह के वक्त धुंध बहुत ज्यादा है। ऐसे में अलसुबह जलने वाली पुरानी वस्तुओं की होली से धुंध का स्तर और गहरा सकता है जो आवाजाही को प्रभावित करेगा।

माट्टू पोंगल के दिन ही ब्राह्मण परिवारों में भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना लिए चावल की विविध किस्मों और मीठे पोंगल की भेंट केले के पत्ते पर रखकर चढ़ाई जाती है जिसे कणुपुड़ी रखना कहा जाता है। पोंगल के अंतिम दिन को काणुम कहते हैं। सभी परिवार एक हल्दी के पत्ते को धोकर इसे जमीन पर बिछाते हैं और इस पर एक दिन पहले का बचा हुआ मीठा पोंगल रखते हैं। वे गन्ना और केला भी शामिल करते हैं।

यह है चार दिवसीय पोंगल

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि समुदायों से संबंधित है, और इसलिए फसल कटाई का यह उत्सव प्रासंगिक और लोकप्रिय दोनों है। यह आमतौर पर जनवरी के मध्य में मनाया जाता है, और महीने के 14वें या 15वें दिन के आसपास शुरू होता है। यह उत्सव मौसम परिवर्तन की खुशी में मनाया जाता है। यह फसलों की कटाई का उत्सव शामिल करता है और साथ ही यह दर्शाता है कि वर्ष के लिए क्षेत्र में मानसून का मौसम समाप्त हो गया है।

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

पोंगल तमिलनाडु का महत्वपूर्ण पर्व है इसका शाब्दिक आशय उबालना है। पोंगल की हंडी चढ़ाकर जब मीठा चावल उबलकर बाहर आता है तो जनता खुशी के मारे में पोंगलो… पोंगल कहकर अच्छी फसल के लिए भगवान सूर्य को नमन करती है। सूर्य पोंगल अथवा तई पोंगल की यही खूबी है जो कि पूरी तरह किसानों और अच्छी फसल की व्याख्या करता है।

उत्सव के पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है, और यह उत्सव हिंदू देवता भगवान इंद्र के सम्मान में आयोजित किया जाता है जो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बादलों को उसकी वर्षा देते हैं। संपन्नता और सर्दी के मौसम की समाप्ति का त्योहार मनाने के लिए एक बड़ा अलाव जलाया जाता है। कई परिवार घर की पुरानी अनुपयोगी चीजों को अलाव में डालते हैं।

भोगी से शुरू होगा चार दिवसीय पोंगल उत्सव

दूसरे दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है और मीठा पोंगल उनको भेंट किया जाता है। तीसरा दिन पशुओं की देखभाल, पूजा तथा उनकी सेवाओं को मनाने के लिए होता है। मवेशियों को मोती, घंटी, अनाज, और फूलों की माला से सजाया जाता है और इसके बाद उनके मालिक और स्थानीय ग्रामीण उनकी पूजा करते हैं।

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