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आईओटी डिवाइसेज के लिए आईआईटी मद्रास ने बनाया मौशिक माइक्रोप्रोसेसर

-पूर्णतः भारत में डिजाइन, फैब्रिकेट और किया गया माइक्रोप्रोसेसर चिप डिजिटल डिजाइन प्रोडक्टाइजेशन में हमारे ‘आत्मनिर्भर’ इकोसिस्टम का प्रदर्शन

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आईओटी डिवाइसेज के लिए आईआईटी मद्रास ने बनाया मौशिक माइक्रोप्रोसेसर

आईओटी डिवाइसेज के लिए आईआईटी मद्रास ने बनाया मौशिक माइक्रोप्रोसेसर

चेन्नई.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के शोधकर्ताओं ने पूर्णतः स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर ‘मौशिक’ को सफलतापूर्वक boots अप कर दिया है। मौशिक एक प्रोसेसर व ‘सिस्टम आन चिप’ है जो डिजिटल इंडिया के स्मार्ट सिटीज़ का अभिन्न हिस्सा, तेजी बढ़ते आईओटी डिवाइसेज की जरूरतों को पूरा करेगा। ‘मौशिक’ की परिकल्पना, डिजाइन और विकास प्रताप सुब्रमण्यम ने किया है जो आईआईटी मद्रास में आरआईएसई ग्रुप, कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के सेंटर फॉर डिजिटल इंटेलिजेंस एवं सिक्योर हार्डवेयर आर्किटेक्चर (पीएस-सीडीआईएसएचए) से संबद्ध हैं। पूर्णतः स्वदेशी विकास प्रक्रिया हमारे देश के अंदर आदि से अंत तक सिस्टम के डिजाइन, विकास और निर्माण में सक्षम भारतीय इकोसिस्टम का प्रदर्शन है। यह आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम है। यह प्रोजेक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। रीकन्फीगुरेबल इंटेलिजेंट सिस्टम्स इंजीनियरिंग (आरआईएसई) ग्रुप, कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास के प्रो. कामकोटि वीजीनाथान ने ‘मौशिक’ बनने की प्रक्रिया पर विस्तार से बताया, ‘‘माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण तीन चरणों में होता है। ये हैं डिजाइन, फैब्रिकेशन और पोस्ट-सिलिकॉन बूट-अप। मौशिक निर्माण के तीनों चरण भारत में पूरे किए गए। यह डिजिटल डिजाइन प्रोडक्टाइजेशन में हमारे ‘आत्मनिर्भर’ इकोसिस्टम को दर्शाता है। प्रो. कामकोटि ने यह भी बताया कि माइक्रोप्रोसेसर, मदरबोर्ड प्रिंटेड सर्किट बोर्ड की डिजाइन, असेंबली और पोस्ट-सिलिकॉन बूट-अप सभी कार्य आईआईटी मद्रास में किए गए। फाउंड्री-स्पेसिफिक बैकएंड डिजाइन और फैब्रिकेशन का कार्य चंडीगढ़ में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला में किया गया और मदरबोर्ड बंगलूरु में बनाया गया। ‘शक्ति मौशिक एसओसी’ स्वदेश में विकसित मदरबोर्ड ‘एड्रोनिकक्स 1.0’’ का दिल होगा। मौशिक एक स्वदेशी आरआईएससी-वी माइक्रोप्रोसेसर है और शक्ति परिवार का तीसरा चिप है। सभी चिप की परिकल्पना और विकास इसी सेंटर में किया गया था और पहली बार ‘सिलिकॉन सफलता’ दर्ज की गई थी।

मौशिक के फील्ड एप्लीकेशन

1. स्मार्ट कार्ड जैसे कि क्रेडिट कार्ड, आईडी कार्ड, डेबिट कार्ड, महानगरीय ट्रैवेल कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस आदि।

2. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम)

3. कार्यालय प्रबंधन प्रणाली जैसे कि एटेंडेंस, निगरानी कैमरे और सेफ लाक आदि

4. निजी स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली

5. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कि वाशिंग मशीन और वॉटर पंप मॉनिटरिंग सिस्टम और इनके अतिरिक्त भी कई हो सकते हैं।

भारत के स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर की कई विशेषताएं

1. अक्टूबर 2018 में शक्ति सीरीज के पहले स्वदेशी चिप को डिजाइन और ***** अप किया गया। यह मोबाइल कंप्यूटिंग उपकरणों, एम्बेडेड न्यून विद्युत वायरलेस सिस्टम और नेटवर्किंग सिस्टम का बुनियादी अंग है और दूरसंचार और रक्षा क्षेत्रों में आयातित माइक्रोप्रोसेसरों पर हमारी निर्भरता कम करेगा।

2. अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर तैयार शक्ति माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग दूसरे भी कर सकते हैं। माइक्रोप्रोसेसरों की यह सीरीज हमारे लिए विश्व बाजार का द्वार खोल देगी।

3. यह एक खुला स्रोत है इसलिए स्टार्टअप समेत कोई भी उद्योग डिजाइन ले सकता है और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कस्टमाइज़ कर सकता है। ऐसे प्रयासों के प्रोत्साहन के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज 2020 शुरू किया है।

4. डिजाइन, विकास और निर्माण के पूर्ण स्वदेशी दृष्टिकोण का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू बैक-डोर और हार्डवेयर ट्रोजन से संक्रमित सिस्टम लगाने का खतरा कम करना है। शक्ति आधारित प्रासेसर जब रणनीतिक महत्व के क्षेत्र जैसे रक्षा, परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान और सरकारी एजेंसी और विभाग अपनाएंगे तो इस विकास की अहमियत बढ़ जाएगी।

शक्ति माइक्रोप्रोसेसर सिस्टम का डिजाइन आरआईएससी-वी आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) पर आधारित है। आरआईएससी-वी एक खुला, निःशुल्क आईएसए है जो खुले मानक सहयोग के जरिए प्रोसेसर इनोवेशन का नया युग शुरू करने की क्षमता प्रदान करता है। आईएसए मुख्यतः प्रोग्रामिंग या मशीन लैंग्वेज है और प्रोसेसर को किए जाने वाले कार्यों के लिए कमांड देता है।