
दीपावली में महज अब कुछ ही दिन रह गए हैं लेकिन जिले के शिवकाशी और आसपास के इलाकों में पटाखा दुकान मालिकों को बिक्री में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। वजह सौ दुकानों के बाजार में हजारों की संया होना और आम खरीदारों का ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह देना है। दिवाली के महीने के आखिरी दिन होने की वजह से अब तक पटाखे घर परिवार के बजट में पूरी तरह एंट्री नहीं कर पाए हैं। बात दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखा बिक्री पर रोक लगा रखी है, इसके बाद भी यह धंधा फल-फूल रहा है। लोग धोखाधड़ी की शिकायतें भी कर रहे हैं। स्कैम करने वाले लोग ऐसा इश्तहार देते हैं, मानो शिवकाशी में उनका कारखाना और दुकान है तथा वे सस्ती कीमतों पर पटाखे बेच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शिवकाशी में देश के पटाखा और दियासलाई का 70 फीसदी उत्पादन होता है।
विरुदनगर जिले में 2,500 से अधिक खुदरा पटाखा दुकानों के साथ, दुकान मालिक आयुध पूजा से ही पटाखा बिक्री के लिए कमर कस चुके हैं। हालांकि ग्राहकों की संया में उमीद के मुताबिक वृद्धि नहीं हुई। दुकानों के काउंटर खाली पड़े हैं और कहीं भी ग्राहक नहीं दिख रहे हैं। दुकानदारों ने बताया कि लोग ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह दे रहे हैं। यह त्योहार महीने के अंत में पड़ रहा है। यह भी बिक्री में गिरावट का कारण है।
कुछ दुकानदारों ने बताया यात्रा लागत कम करने और सस्ते दामों पर हाई क्वालिटी वाले पटाखे खरीदने के लिए तमिलनाडु के अन्य हिस्सों के लोग ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं। हालांकि कई ग्राहक धोखेबाजों के झांसे में आ जाते हैं जो शिवकाशी में दुकान के मालिक होने का दिखावा करते हैं।
फेडरेशन नहीं बेच रहा ऑनलाइन
उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय को ध्यान में रखते हुए कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं की जानी चाहिए, तमिलनाडु फायरवर्क्स ट्रेडर्स फेडरेशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि उनके संघ के अंतर्गत आने वाले दुकानदारों को निर्देश दिया गया है कि वे पटाखे ऑनलाइन न बेचें। साइबर पुलिस का कहना है कि उसने ऑनलाइन पटाखा बिक्री से धोखाधड़ी के सत्रह मामले दर्ज किए हैं। बता दें कि तमिलनाडु अग्निशमन व बचाव विभाग ने 6,585 अस्थाई पटाखा दुकानों को अस्थाई अनुमति दी है।
वेबसाइटें बिगाड़ रही खेल
अमथुर में एक पटाखा दुकान के मालिक एस गौतम (23), जिनका परिवार पांच साल से इस व्यवसाय में है, ने कहा कि चेन्नई और कोयंबत्तूर के उनके कुछ ग्राहकों ने शिकायत की कि उन्होंने शिवकाशी स्थित पटाखा दुकानों का दिखावा करने वाली वेबसाइटों से 10,000 से 40,000 रुपए तक के ऑर्डर दिए और उनके साथ धोखाधड़ी की गई। बहरहाल, लोग सीधे बाजार आने के बजाय ऑनलाइन विकल्प को ज्यादा अपना रहे हैं। उनका परामर्श था कि लोगों को छूट वाली कीमतों से धोखा नहीं खाना चाहिए, खासकर जब वे ऑनलाइन खरीदारी करते हैं।
Published on:
29 Oct 2024 02:19 pm
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