
Shiv Singh, Businessman
चेन्नई. भारत के हस्तशिल्प में काफी संभावनाएं हैं। तंजावुर प्राचीन हस्तशिल्प, कांस्य के सिक्कों, कला प्लेटों, बेल धातु की ढलाई, कटोरे, नैपकिन, पाउडर बॉक्स और पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध है। इनके अलावा, सजावटी पंखे, चटाई, कटहल की लकड़ी से बने वाद्य यंत्र और हथकरघा रेशम और सूती साड़ियों का भी पारंपरिक रूप से यहां उत्पादन किया जाता है। तंजावुर में बनी अनोखी गुड़िया दुनिया भर में कुछ खास है।
विदेश व्यापार के उप महानिदेशक बग्यावेलु कहते हैं, हस्तशिल्प रोजगार सृजन और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारतीय हस्तशिल्प में दुनिया भर में काफी संभावनाएं हैं। हालांकि शिक्षा की कमी, कम पूंजी और नई प्रौद्योगिकियों के लिए खराब जोखिम, खराब संस्थागत ढांचे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी बाधाओं के बावजूद काम की गुणवत्ता के कारण इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अकेले तंजावुर में जीआई टैग प्राप्त करने वाली नौ वस्तुएं हैं और यह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में उनका विपणन करने का समय है और हमें उन अवसरों का उपयोग करना चाहिए जो हमारे हस्तशिल्प के लिए उज्ज्वल हैं।
पारंपरिक कला कार्यों का व्यावसायीकरण चुनौती
हालांकि कारीगरों को बेहतर पारिश्रमिक प्राप्त करके इन पारंपरिक कला कार्यों का व्यावसायीकरण एक चुनौती है। भारतीय हस्तशिल्प का निर्यात भौगोलिक क्षेत्रों में किया जाता है, जिसमें शीर्ष दस में अमरीका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, फ्रांस, लैटिन अमेरिकी देश, इटली, नीदरलैंड, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया हैं।
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चेन्नई में दो दर्जन नई इकाइयां
कोरोना के बाद से चेन्नई मे हैण्डीक्राफ्ट्स व खिलौने बनाने की करीब दो दर्जन नई इण्डस्ट्री स्थापित हुई है। वहीं चेन्नई के करीब तीस व्यवसाइयों ने अहमदाबाद एवं आसपास के इलाको में उत्पादन इकाइयां स्थापित की है। अब चीन पर पहले की तुलना में दबाव काफी कम हुआ है। लोग अब भारत में उत्पादन करने लगे हैं। कई नए आइटम भी तैयार होने लगे हैं।
-शिवसिंह बड़ीसवाई, खिलौनों के व्यापारी, चेन्नई।
Published on:
29 Dec 2021 09:44 pm
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