20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

1700 साल से ज्यादा पुराने स्मारक बने पीएम मोदी व जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात के गवाह

Xi Jinping and Modi Summit Meet Live Update in Mahabalipuram: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग (Xi Jinping) 1000 साल से ज्यादा पुराने इन स्मारकों का दौरा कर सकते हैं। Mahabalipuram, Tamilnadu , ModixijinpingMeet, TNWelcomesPMModi, Mahabalipuram

2 min read
Google source verification
Xi Jinping and Modi Summit Meet Live Update in Mahabalipuram:,Xi Jinping and Modi Summit Meet Live Update in Mahabalipuram:

Xi Jinping and Modi Summit Meet Live Update in Mahabalipuram:,Xi Jinping and Modi Summit Meet Live Update in Mahabalipuram:

चेन्नई.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार की शाम को तमिलनाडु के महाबलीपुरम में गर्मजोशी से स्वागत किया। देनों देश के शक्तिशाली नेताओं के स्वागत के लिए महाबलीपुरम के अति प्राचीन स्मारकों को सजाया-संवारा गया।

ये स्मारक पल्लवकालीन शिल्पकारों की बेजोड़ स्थापत्य-कला का नमूना दर्शाते हैं। जिन्होंने घड़ी के अविष्कार से अरसा पहले ही दिन के समय आदि विचारों के साथ पत्थरों पर अपनी सृजन प्रतिभा को उकेरा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग (Xi Jinping) 1000 साल से ज्यादा पुराने इन स्मारकों का दौरा कर सकते हैं। इन स्मारकों की भव्य मूर्तियों को बारीकी से देखा जाए तो इनके सृजनकर्ताओं के हुनर को समझा जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच जिन स्थानों पर द्विपक्षीय मुलाकात हुई हैं, वे प्रसिद्ध सांस्कृतिक स्थल रहे हैं और जिनका चीन और भारत में हजारों साल पुराना जुड़ाव रहा है। इस बार महाबलीपुरम को इस मुलाकात के लिए चुना गया।

यहां जानें इस ऐतिहासिक शहर के बारे में 10 खास बातें-

1. चेन्नई से करीब 50 किलोमीटर दूर पुरातनकालीन तटीय शहर महाबलीपुरम में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शिखर वार्ता हुई। यह शहर चीन के फुजियान प्रांत के साथ मजबूत व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के कारण अहम है।

2. 1985 में मामल्लपुरम विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित हुआ था।

3. मामल्लपुरम को नरसिंह देव ने बसाया महाबलीपुरम की स्थापना पल्लव राजा नरसिंह देव वर्मन ने की थी। नरसिंह देव को मामल्ल भी कहा जाता था, इसलिए शहर को मामल्लपुरम कहा जाता है।

4. महाबलीपुरम में दुनिया की दो बड़ी 'ताकत' शी जिनपिंग से मिले पीएम मोदी

5. अर्जुन की तपोस्थली मामल्लपुरम में पांच रथों और अर्जुन की तपस्या स्थल और प्राचीन गुफाओं के लिए जाना जाता है।

6. चीन संग व्यापार मामल्लपुरम शहर 7वीं सदी में पल्लवों के शासन के दौरान महत्वपूर्ण बंदरगाह था।

7. बोधिधर्मा जिन्होंने चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार किया था। वे भी मामल्लपुरम शहर से यात्रा शुरू कर चीन के गुआंगदोंग प्रांत पहुंचे थे।

8. झाऊ एन लाई भी यहां आए दिसंबर 1956 में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति झाऊ एन कलपंथनमंडलम आए थे, जो महाबलीपुरम से कुछ किलोमीटर दूर ही है, जहां उन्होंने प्रसव केंद्र का उद्घाटन किया था।

9. यहां आपको पल्लव वंश के शासन के दौरान बनी कलाकृतियां, गुफाएं और मंदिर, मूर्तियां दिखाई देंगी।

10. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल ऐतिहासिक स्मारकों का समूह महाबलीपुरम कोरोमंडल तट के साथ साथ 7वीं और 8वीं आठवीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। इसमें आपको 7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान की कला के बारे में पता चलेगा।