रविवार को पठापुर रोड, जेल रोड, अनगढ़ टौरिया, कोतवाली के पास जैन मंदिर, टौरिया मोहल्ला और महोबा रोड के कई हिस्सों में दिनभर बिजली आपूर्ति ठप रही। स्थानीय लोगों ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर पर दर्जनों बार कॉल किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
जिले में बिजली व्यवस्थाओं को सुधारने के नाम पर जहां सरकार और बिजली विभाग ने बीते दो वर्षों में करीब 210 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। शनिवार की बारिश के बाद से शहर की बिजली व्यवस्था पूरी तरह लडखड़़ा गई, और दो दिन बाद भी सामान्य नहीं हो सकी। कई इलाकों में लोग अब भी अंधेरे में जीने को मजबूर हैं, वहीं जिन इलाकों में सप्लाई है, वहां बार-बार ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की समस्या लोगों की परेशानी को दोगुना कर रही है।
शनिवार रात जब शहर की गलियों में अंधेरा छाया रहा, तब लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए पावर इंफ्रास्ट्रक्चर की पोल खुल गई। रविवार को भी हालात नहीं सुधरे। उमस भरी गर्मी में लोगों का हाल बेहाल रहा। हेल्पलाइन नंबरों पर शिकायतें दर्ज कराना भी लोगों के लिए एक और जंग बन गई, क्योंकि न तो कॉल उठाए गए और न ही किसी प्रकार की संतोषजनक कार्रवाई की गई। जिन इलाकों में सुधार कार्य शुरू भी हुआ, वहां चार से छह घंटे तक बिजली गायब रही।
रविवार को पठापुर रोड, जेल रोड, अनगढ़ टौरिया, कोतवाली के पास जैन मंदिर, टौरिया मोहल्ला और महोबा रोड के कई हिस्सों में दिनभर बिजली आपूर्ति ठप रही। स्थानीय लोगों ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर पर दर्जनों बार कॉल किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इन इलाकों में न केवल अंधेरा छाया रहा बल्कि बिजली की बार-बार ट्रिपिंग ने महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जोखिम में डाल दिया है।
शहर के जिन हिस्सों में बिजली आपूर्ति चालू रही, वहां भी हर कुछ घंटे में ट्रिपिंग ने नागरिकों को बेचैन रखा। खासतौर पर सुबह से दोपहर और फिर शाम को बिजली बार-बार चली जाती रही। बच्चों की पढ़ाई, घरों के जरूरी काम, ऑफिस वर्क और मेडिकल उपकरण तक इससे प्रभावित हुए। कई परिवारों ने शिकायत की कि उनके इन्वर्टर तक जवाब दे चुके हैं क्योंकि बिजली आने का समय निश्चित नहीं है।
केंद्र सरकार की रीवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के अंतर्गत छतरपुर डिवीजन में 210 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को ट्रिपिंग, लो वोल्टेज, और अनियमित आपूर्ति जैसी समस्याओं से निजात दिलाना है। योजना के प्रथम चरण में 33/11 केवी के 7 नए उपकेंद्रों का निर्माण हो रहा है वीरों, देवरन, रामटौरिया, पनवारी, रनगुवां, पहरा, और सुकवां में। इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में लाइन बिछाने और फीडर नेटवर्क को इंटरकनेक्ट करने का कार्य चल रहा है। बिजली विभाग का दावा है कि वर्ष 2026 तक सभी कार्य पूर्ण हो जाएंगे, लेकिन जनता के लिए यह तारीख दूर की कौड़ी लग रही है। जब हालात यह हों कि दो दिन की बारिश के बाद ही आपूर्ति बहाल नहीं हो पा रही, तो भविष्य की योजनाओं पर भरोसा करना आमजन के लिए कठिन हो रहा है।
शहर की अधिकांश विद्युत लाइनें वर्षों पुरानी हैं, जो अब ट्रिपिंग की सबसे बड़ी वजह बन चुकी हैं। आरडीएसएस योजना के अंतर्गत 250 किमी के क्षेत्र में नई केबिलें बिछाने का कार्य किया जा रहा है। जिलेभर में 1451 किमी लाइन, 90 किमी 11 केवी लाइन और 48 फीडर सेपरेशन के कार्य शामिल हैं। बिजली विभाग का कहना है कि इन कार्यों के पूर्ण होने से भविष्य में बिजली संबंधी समस्याएं कम हो जाएंगी, परंतु वर्तमान में जिन लोगों को रातें बिना पंखे के बितानी पड़ रही हैं, उनके लिए यह आश्वासन तसल्ली नहीं दे पा रहा।
हेल्पलाइन नंबरों पर शिकायतों के बावजूद जवाब नहीं मिलना उपभोक्ता सेवा की पोल खोलता है। विभागीय अधिकारियों से संपर्क करने पर टालने वाला रवैया देखने को मिलता है। पीडि़त नागरिकों का कहना है कि यदि शिकायतों पर समय रहते ध्यान दिया जाता, तो हालात इतने बदतर नहीं होते।
शहर में कुल उपभोक्ता: 44500
सामान्य खपत- 3.50 लाख यूनिट
पीक समय में खपत- 6.70 लाख यूनिट
केबल बदलाव कार्य- 250 किमी क्षेत्र
एलटी लाइन परिवर्तन- 1451 किमी
11 केवी लाइन संवर्धन- 90 किमी
फीडर सेपरेशन- 48
बिजली व्यवस्था के नाम पर बड़ी योजनाएं और भारी भरकम बजट की घोषणा कर देना सिर्फ पहला कदम होता है, असली चुनौती उसे सही समय पर और प्रभावी तरीके से जमीन पर उतारने की होती है। छतरपुर जैसे शहर में जहां आमजन का जीवन सीधे तौर पर बिजली आपूर्ति पर निर्भर है, वहां ऐसी लचर व्यवस्था न केवल सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि नागरिकों की सहनशक्ति की भी परीक्षा लेती है। अब देखना यह है कि क्या वाकई 2026 तक छतरपुरवासी ट्रिपिंग और कटौती से मुक्त हो पाएंगे या फिर यह भी एक और योजना बनकर सरकारी कागजों में सिमट कर रह जाएगी।