21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

त्रिशूल जैसे तीन सींग वाले त्रिनेत्रधारी नंदी श्रद्धालुओं के लिए बने आर्कषण का केन्द्र

जिले के प्रसिद्ध शिवधाम जटाशंकर में 12 साल से रह रहे अनोखे नंदीत्रिशूल की तरह है तीन सींग, तीसरी आंख की पुतली भी कर रही काम

2 min read
Google source verification
Unique Nandi living in Shivdham Jatashankar for 12 years

Unique Nandi living in Shivdham Jatashankar for 12 years

छतरपुर। एक नंदी चर्चा और कौतूहल का विषय बना हुआ है। त्रिशूल जैसे तीन सींगों और माथे पर तीसरी आंख के निशान के चलते यह नंदी शिव के नंदी की तरह देखा जा रहा है। यह नंदी 12 साल पहले बुंदेलखंड के प्रसिद्ध धाम जटाशंकर किसी अज्ञात स्थान से आया था। तभी से मंदिर ट्रस्ट की देखरेख में नंदी जटाशंकर में ही रह रहे हैं। जटाशंकर आने वाले शिवभक्त इस अनोखे नंदी को लेकर श्रद्धाभाव रखते हैं। शिव का अंश मानकर ही नंदी की पूजा करते हैं।
शिवधाम आकर शांत हो गया उग्र स्वभाव वाला नंदी
जटाशंकर ट्रस्ट के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल बताते हैं कि किशनगढ़ के पास किसी गांव में एक किसान की गाय ने इस अनोखे बछड़े को जन्म दिया था। दो-तीन साल की उम्र तक यह उसी किसान के पास रहा। लेकिन अचानक उग्र हो जाता था। नंदी के उधम करने से परेशान किसान उनको जटाशंकर धाम में छोड़ गया। तब से 12 साल हो गए, नंदी ट्रस्ट की देखभाल में यहीं रहते हैं। अरविंद ये भी बताते है कि जटाशंकर धाम आने के बाद से नंदी का स्वभाव शांत हो गया। पहले की तरह उग्र नहीं होते हैं। पहले लोग उनके पास नहीं जा पाते थे, अब वे श्रद्धालुओं को पास आने देते है, अब उग्र नहीं होते हैं।
शिव का अंश मानते हैं लोग
जटाशंकर आने वाले लोगों को लगता है कि नंदी शिव के अंश है, इसलिए शिव त्रिशूल और त्रिनेत्र धारी है। लोगों की ये भी मान्यता है कि नंदी के कान में अगर वे अपनी मनोकामना बोलेंगे तो भगवान शिव उसे जरूर पूरा कर देंगे। जटाशंकर धाम आने वाले लोग नंदी बाबा से बिना मिले नहीं जाते हैं। शिव का पूजन करने के बाद नंदी को नमन जरूर करते हैं। हर माह जटाशंकर जाने वाली भक्त उषा पाठक बताती है, कि नंदी के दर्शन से ही आत्मिक सकूंन मिलता है। विकास पाडेय बताते हैं कि ऐसे नंदी का मिलना सामान्य बात नहीं है। नंदी का बास ही शिवधाम में है, कुछ तो विशेष है।
हर महीने होता है स्वास्थ्य परीक्षण
अरविंद अग्रवाल बताते हैं कि नंदी की सेवा के लिए ट्रस्ट की ओर से एक सेवादार रखा गया है। नंदी के भोजन के लिए रोजाना बिजावर से हरा चारा मंगाया जाता है। सप्ताह में दो दिन स्नान की व्यवस्था भी की गई है। महीने में एक बार डॉ. अनिल अवस्थी निशुल्क नंदी का स्वास्थ्य परीक्षण भी करते हैं। डॉ. का कहना है अन्य सामान्य बैल से नंदी में तीन सींग, त्रिनेत्र जैसी अतिरिक्त विशेषताएं हैं। जिसके कारण लोग श्रद्धा से अभिभूत रहते हैं। वे स्वयं नंदी के प्रति आदर भाव रखते हैं।
उज्जैन कुंभ में गए थे नंदी
अरविंद ने बताया कि वर्ष 2016 में कुछ लोग नंदी को उज्जैन कुंभ भी ले गए थे। जहां देश के बड़े-बड़े साधुओं के जमावड़े के बीच भी नंदी सबके आर्कषण का केन्द्र बने रहे। नागाओं के एक अखाड़े ने नंदी उन्हें सौंपने की मांग तक की थी, इसके लिए उन्होंने 4 लाख रुपए खर्च करने तक का प्रस्ताव भी दिया था। लेकिन ट्रस्ट के लोग शिव की इक्छा मानते हुए नंदी को जटाशंकर धाम में ही रखना चाहते हैं, जहां नंदी स्वयं आए और 12 साल से रह रहे हैं। इसके बाद नंदी को उज्जैन से वापस जटाशंकर ले आए।