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चंद्रगिरी तीर्थ से लाइव प्रसारण से कराए जाएंगे आचार्य के अंतिम दर्शन, शाम ७ से ९ बजे तक दी जाएगी विनयांजलि

चंद्रगिरी तीर्थ से लाइव प्रसारण से कराए जाएंगे आचार्य के अंतिम दर्शन, शाम ७ से ९ बजे तक दी जाएगी विनयांजलि

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नेमिनाथ जिनालय में मौजूद समाज के लोग

नेमिनाथ जिनालय में मौजूद समाज के लोग

छतरपुर. शहर के सिटी कोतवाली स्थित नेमिनाथ जिनालय में आचार्य विद्यासागर महाराज का अंतिम संस्कार का लाइव प्रसारण टीवी के माध्यम से किया जाएगा। जहां पर समाज के लोग आचार्य के अंतिम दर्शन कर सकेंगेे। इसके बाद समाज के लोग अपने घरों से एक-एक दिया लाकर शाम ७ बजे से रात ९ बजे तक आचार्य को विनयांजलि देंगे।
आचार्य विद्यासागर महाराज के देह त्यागने की खबर जिले के जैन समाज को लगते ही समाज के लोगों के साथ ही अन्य लोग स्तब्थ रह गए। इस दौरान समाज के लोगों ने अपने अपने घरों में ही आचार्य विद्यासागर महाराज को विनयांजलि दी। वहीं सुबह से ही सिटी कोतवाली स्थित नेमिनाथ जिनालय में समाज के लोग जुडऩा शुरू हो गए।
जैन समाज के जिलाअध्यक्ष अरुण जैन ने बताया कि वर्ष २०१८ में खजुराहो में चर्तुमास के बाद आचार्य विद्यासागर महाराज छतरपुर के नेमिनाथ जिनालय आए थे। यहां पर उन्हें व समाज के अधिकतर लोगों को आचार्य का सानिध्य और आर्शीवाद मिला था। जिसके बाद से समाज के लोगों कार्य व कारोबार के नए नए रास्ते खुले। उन्होंने बताया कि आचार्य ने रात 2 बजकर 30 बजे समाधि ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली। जिसके बाद से जिले भर के जैन समाज व अन्य समाज में शोक की लहर है। लोगों अपने अपने तरीके से उन्हें विनयांजलि दे रहे हैं। नेमिनाथ जिनालय में दिन में आचार्य के अंतिम संस्कार का लाइप प्रसारण टीवी के माध्यम से लोगों को दिखाया जाएगा। शाम को सभी लोग अपने अपने घरों से एक-एक दिया लाकर मंदिर में जलाएंगे और आचार्य को ७ से ९ बजे तक विनयांजति दी जाएगी। बताया कि आचार्य का अंतिम संस्कार दोपहर 1 बजे किया जाएगा।

जिलेभर में शोक की लहर
आचार्य विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से जिले भर में शोक की लहर है। आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले तीन दिन से उन्होंने अन्न जल त्याग दिया था। आचार्य अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया।
जैन मुनि ने रात 2 बजकर 30 बजे समाधि (देह त्याग दी) ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली।