
फ्रूट फारेस्ट
बुंदेलखंड की सूखी मानी जाने वाली धरती अब हरियाली की मिसाल बनने लगी है। जिला प्रशासन छतरपुर की पर्यावरण संरक्षण मुहिम अब रंग ला रही है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल के नेतृत्व में छतरपुर जिले में कई जगहों पर फ्रूट फॉरेस्ट विकसित किए गए हैं, जो अब फल देने लगे हैं और आर्थिक रूप से ग्रामीणों को भी सशक्त बना रहे हैं।
जिला प्रशासन ने छतरपुर शहर के देरी रोड, बारीगढ़ के मुड़ेहरा, प्रकाश बम्होरी, ग्राम खोंप, बड़ामलहरा, धरमपुरा और पड़रिया सहित कई इलाकों में अतिक्रमण हटाकर फ्रूट फॉरेस्ट विकसित किए हैं। देरी रोड पर लगभग 11 एकड़, जबकि ग्राम खोंप में 5 एकड़ शासकीय बंजर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराकर फलों के पौधे लगाए गए हैं।
बुंदेलखंड की जलवायु को ध्यान में रखते हुए पौधों की ग्रोथ के लिए जापान की मियावाकी पद्धति अपनाई गई। नतीजतन, दो साल के अंदर अमरूद, नींबू जैसे पौधे फल देने लगे हैं। खोंप गांव का फ्रूट फॉरेस्ट हरि बगिया स्व-सहायता समूह को सौंपा गया है। यह 10 सदस्यीय महिला समूह फलों की बिक्री कर आय अर्जित कर रहा है। महिलाएं न केवल पेड़-पौधों की देखरेख कर रही हैं, बल्कि सब्जियों का भी उत्पादन कर रही हैं। उनके कार्य और साहस की सराहना स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं।
फ्रूट फॉरेस्ट परियोजना न केवल हरियाली और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि भू-जल स्तर को भी सुधार रही है। बड़े पैमाने पर पौधरोपण से मिट्टी की नमी और जल संचयन में भी मदद मिल रही है।
यह परियोजना न सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से उदाहरण बन रही है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक रूप से भी एक मॉडल बन रही है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल की यह पहल छतरपुर को हरा-भरा और आत्मनिर्भर जिला बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
Published on:
06 Jun 2025 10:42 am
बड़ी खबरें
View Allछतरपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
