छतरपुर

पेड़ की छांव और चबूतरे पर चल रही है कक्षाएं, जर्जर स्कूल भवन गिराने के बाद एक वर्ष में नहीं बन पाए नए भवन

नए भवन तैयार नहीं किए गए। स्थिति यह है कि कई गांवों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पेड़ की छांव में पढऩे को मजबूर हैं, तो कहीं आंगनबाड़ी या निजी भवनों के एक कमरे में संपूर्ण स्कूल समेट दिया गया है।

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Jul 17, 2025
पेड़ के नीचे चल रही कक्षा

जिले में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से संसाधनों की कमी और प्रशासनिक उपेक्षा की शिकार होती नजर आ रही है। एक वर्ष पूर्व जर्जर घोषित कर कई प्राथमिक विद्यालयों के भवनों को प्रशासन ने तो गिरा दिया, लेकिन अब तक वहां नए भवन तैयार नहीं किए गए। स्थिति यह है कि कई गांवों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पेड़ की छांव में पढऩे को मजबूर हैं, तो कहीं आंगनबाड़ी या निजी भवनों के एक कमरे में संपूर्ण स्कूल समेट दिया गया है।

बजट नहीं मिलने से अटका है निर्माण


जिले में 13 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं जहां पिछले सत्र 2024 से लेकर वर्तमान तक भवन न होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ गई है। शिक्षा विभाग का कहना है कि इन भवनों के निर्माण के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे जा चुके हैं, लेकिन बजट की कमी के चलते निर्माण शुरू नहीं हो पाया। जिले में स्कूल भवन निर्माण के लिए 3.56 करोड़ रुपए की आवश्यकता है, लेकिन वह अब तक स्वीकृत नहीं हुए हैं।

यहां ज्यादा समस्या


छतरपुर विकासखंड के उदयन पुरवा, राजनगर विकासखंड के चौका-कोडऩ, लखेरी और ऑटापुरवा में हालात सबसे गंभीर हैं। इन गांवों में भवनों को अगस्त 2024 में गिरा दिया गया था। पूरे सत्र में यहां बच्चे खुले में पढ़ते रहे। बारिश होने पर कक्षाएं रद्द कर दी जाती हैं। लखेरी प्राथमिक विद्यालय में तीन शिक्षक पदस्थ हैं और छात्र संख्या 118 है। भवन के अभाव में यहां पेड़ के नीचे पढ़ाई कराई जा रही है। मंगलवार को भी शिक्षकों ने कक्षाएं पेड़ के नीचे लगाईं। गांव के सरपंच डॉ. हरप्रसाद पटेल का कहना है कि बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

बारिश होने पर देनी पड़ती है छुट्टी


राजनगर के चौका-कोडऩ गांव के प्राथमिक विद्यालय की भी स्थिति बेहद खराब है। यहां 78 छात्र हैं और विद्यालय का भवन एक साल पहले गिराया गया था। आज भी बच्चे चबूतरे पर बैठकर पढऩे को मजबूर हैं। बारिश होने पर छुट्टी कर दी जाती है। गांव की सरपंच उर्मिला यादव कहती हैं कि पहले वैकल्पिक व्यवस्था की जाती, फिर भवन गिराना चाहिए था। उदयन पुरवा गांव में स्कूल आंगनबाड़ी केंद्र के एक कमरे में संचालित है। यह केंद्र भी एक निजी भवन में चल रहा है। तीन महिला शिक्षक और 78 छात्र एक ही छोटे से कमरे में बैठते हैं। पांचों कक्षाओं की पढ़ाई एक साथ होती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा है। कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए यह व्यवस्था बेहद अव्यवहारिक और असुविधाजनक बन गई है।

बजट मिलने की जताई संभावना


पिछले सत्र में जिन 13 भवनों को गिराया गया था, उनके निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कर राज्य शासन को भेज दिए गए हैं। केंद्र सरकार से 60 प्रतिशत और राज्य सरकार से 40 प्रतिशत बजट मिलना है। राज्य सरकार का हिस्सा स्वीकृत हो चुका है और केंद्र का बजट इस माह के अंत तक आने की संभावना है। जुलाई के अंत तक निर्माण कार्य शुरू हो सकता है।

इनका कहना है


भवन निर्माण के लिए राज्य सरकार के हिस्से का बजट स्वीकृत हो गया है। केंद्र का बजट भी इसी माह मिल जाएगा। जल्द से जल्द निर्माण कराया जाएगा।
एएस पांडेय, डीपीसी

फैक्ट फाइल


स्कूल भवन-13
बजट- 3.56 करोड़
केंद्र का हिस्सा-60 प्रतिशत
राज्य का हिस्सा-40 प्रतिशत

Published on:
17 Jul 2025 10:33 am
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