
समीक्षा करते मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को खजुराहो में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में एमएसएमई विभाग की दो वर्षों की उपलब्धियों और आगामी कार्ययोजना की समीक्षा की। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि इंदौर और भोपाल जैसे मेट्रोपॉलिटन शहरों में विकसित औद्योगिक क्षेत्रों का उद्योग जगत में बड़े स्तर पर प्रचार किया जाए, ताकि अधिक से अधिक औद्योगिक इकाइयां स्थापित हों और रोजगार के नए अवसर निर्मित हों। मुख्यमंत्री ने उद्योग वर्ष के समापन पर इस माह के अंत तक ग्वालियर में लगभग दो लाख करोड़ के निवेश से जुड़ी इकाइयों के भूमिपूजन और औद्योगिक भूखंड आवंटन जैसे कार्यक्रमों को भव्य रूप से आयोजित करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने एमएसएमई पंजीकरण में पिछले दो वर्षों में 31 प्रतिशत की वृद्धि को उल्लेखनीय उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह छोटे उद्योगों के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए सशक्त औद्योगिक वातावरण का प्रमाण है। उन्होंने फूड पार्क सहित ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को भी एमएसएमई ढांचे में जोड़ने पर बल दिया।
बैठक में बताया गया कि बीते दो वर्षों में प्रदेश में एमएसएमई और स्टार्टअप क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। राज्य में अब तक कई लाख करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ है, नई औद्योगिक इकाइयों का बड़े पैमाने पर भूमिपूजन और शुभारंभ हुआ है तथा 2780 करोड़ की प्रोत्साहन राशि एमएसएमई इकाइयों को प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने 2019 से लंबित प्रोत्साहन राशि के पूर्ण भुगतान को ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि विभाग निवेश और रोजगार से जुड़ी उपलब्धियों का जमीनी स्तर पर अवलोकन पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया के साथ कराए।
उद्योग संरचना के विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री ने बड़े शहरों में फ्लैटेड इंडस्ट्रियल पार्कों के विकास में विकास प्राधिकरणों को जोड़ने के निर्देश दिए, ताकि लागत नियंत्रित रहे और बेहतर औद्योगिक परिसर विकसित हो सकें। वर्तमान में प्रदेश में 4.51 लाख विनिर्माण उद्यम, 6340 से अधिक स्टार्टअप और 3023 महिला स्टार्टअप सक्रिय हैं। प्रदेश में 102 से अधिक इन्क्यूबेटर कार्यरत हैं और विनिर्माण क्षेत्र में 39600 करोड़ रुपए का निवेश दर्ज हुआ है।
विभाग द्वारा नीतिगत सुधारों की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए नई नीतियां लागू करने के साथ 116 से अधिक कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूकता और प्रशिक्षण दिया गया। भू-आवंटन प्रक्रियाओं को फेसलेस ऑनलाइन सेवा के रूप में लागू किया गया और वित्तीय सहायता के रूप में 4065 इकाइयों को 2780 करोड़ रुपए दिए गए। राज्य स्तरीय साधिकार समिति ने 220 प्रकरणों का निराकरण किया।
औद्योगिक अधोसंरचना के विकास में भी उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। प्रदेश में 1,240 भूखंड उपलब्ध कराए गए, 13 औद्योगिक क्षेत्रों का निर्माण कार्य पूरा हुआ और 14 नए औद्योगिक क्षेत्रों को स्वीकृति मिली। 31 औद्योगिक क्षेत्रों का विकास कार्य प्रगति पर है। निजी भूमि पर स्वीकृत 30 औद्योगिक क्षेत्रों में से 12 का विकास कार्य पूर्ण हुआ है। गोविंदपुरा, भोपाल में फ्लैटेड इंडस्ट्रियल पार्क का निर्माण विभाग द्वारा किए गए नवाचार का उदाहरण है।
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 15838 युवाओं को 1087 करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया। प्रदेश की साख योजना में 193872 करोड़ रुपए का वितरण हुआ, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। एमएसएमई फेसिलिटेशन काउंसिल ने विलंबित भुगतान के 439 प्रकरणों का निराकरण किया और डिजिटल माध्यम से सुनवाई के लिए 2025 में राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया। जीआईएस-2025 के दौरान प्रदेश को 2,279 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनकी राशि 21,000 करोड़ रुपए है। इनमें से 729 प्रस्ताव क्रियान्वित हुए और 5075 करोड़ का निवेश साकार हुआ, जिससे 21599 रोजगार निर्मित हुए। इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में मध्यप्रदेश मंडप को 2024 में स्वर्ण और 2025 में रजत पदक प्राप्त हुआ।
विनिर्माण क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में दो लाख से अधिक इकाइयों का पंजीकरण हुआ, जो 31 प्रतिशत की ग्रोथ दर्शाता है। आरएएमपी योजना के तहत प्रदेश के पांच एसएमई को स्टॉक एक्सचेंज में शामिल किया गया। जेडईडी प्रमाणन के क्षेत्र में 16428 इकाइयां प्रमाणित हो चुकी हैं, जबकि पूर्व में यह संख्या मात्र 437 थी। प्रदेश में 30 हजार से अधिक एमएसएमई एवं स्टार्टअप का क्षमता निर्माण किया गया और 834 शासकीय सेवक पोर्टल पर ऑनबोर्ड हुए। भविष्य की तैयारियों में मुख्यमंत्री को बताया गया कि अगले तीन वर्षों में पांच हजार करोड़ की प्रोत्साहन राशि एमएसएमई इकाइयों को दी जाएगी। क्लस्टर विकास के लिए 30 नए निजी क्लस्टर और 22 सामान्य सुविधा केंद्र स्वीकृत होंगे। 6000 से अधिक भूखंडों के आवंटन की योजना बनाई गई है और 100 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी स्थापित की जाएगी।
81 विधानसभा क्षेत्रों में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने, प्रदेश के स्टार्टअप को 12000 से अधिक तक बढ़ाने, 100 नए इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने और जनवरी 2026 में राज्य स्तरीय स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित करने का प्रस्ताव है। 1.5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों को औपचारिक रूप से उद्यम पोर्टल से जोड़ने की योजना भी शामिल है। स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से 30000 उद्यमियों को लाभ पहुंचाने, 20 विशिष्ट उत्पादों के लिए जीआई टैगिंग शुरू करने और प्रदेश की परीक्षण प्रयोगशालाओं के उन्नयन पर भी जोर दिया गया है। बैठक में एमएसएमई मंत्री चेतन्य कुमार काश्यप, मुख्य सचिव अनुराग जैन, मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
Published on:
09 Dec 2025 10:44 am
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