अलसुबह से ही शुरू हुई तैयारियां, आठ बजे अता की गई नमाज
सुबह-सवेरे ही घरों में तैयारियां शुरू हो गई थीं। बच्चों को नए कपड़े पहनाए गए, लोगों ने पारंपरिक कुर्ता-पायजामा पहनकर इत्र लगाया और टोपी सजाकर ईदगाहों की ओर रुख किया। नई ईदगाह में नमाज सुबह 8 बजे से शुरू हुई, जबकि नौगांव में गर्मी को देखते हुए 7.30 बजे ही नमाज अता की गई। नमाज शुरू होने से पहले ही ईदगाहों में भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा माहौल अल्लाहु अकबर की सदाओं से गूंज उठा।
नमाज के बाद गले मिलकर दी मुबारकबाद, बच्चों में दिखा उत्साह
नमाज के बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की बधाई दी। बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिला, उन्होंने भी बड़े-बुजुर्गों की तरह गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी और ढेर सारी खुशियां बांटी। इस दौरान बच्चों ने एक-दूसरे के साथ खेलकूद और मस्ती भी की।
शुरू हुआ मेहमाननवाजी का दौर
नमाज के बाद सभी लोग अपने घरों को लौटे जहां पारंपरिक व्यंजन और मिठाइयों से मेहमाननवाजी की गई। बकरीद के विशेष पकवानों जैसे शीर खुरमा, बिरयानी और कबाब का सभी ने जमकर लुत्फ उठाया। दिन भर घर-घर लोगों के आने-जाने और मुबारकबाद देने का सिलसिला चलता रहा।
अदा की गई कुर्बानी, निभाई परंपरा
बकरीद के अवसर पर मुस्लिम समाज के लोगों ने अल्लाह की राह में कुर्बानी दी। कुर्बान किए गए जानवरों के मांस को परंपरा के अनुसार तीन हिस्सों में बांटा गया। एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया गया, दूसरा रिश्तेदारों व दोस्तों को और तीसरा हिस्सा अपने पास रखा गया। यह परंपरा त्याग और बराबरी के इस त्योहार की आत्मा मानी जाती है। ईद-उल-अजहा के इस पावन मौके पर जिला प्रशासन ने भी समुचित सुरक्षा व्यवस्था एवं साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था की थी। सभी कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए और जिले में भाईचारे एवं सौहाद्र्र का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया गया।