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हॉस्टल संचालकों के पास नगर पालिका और इलेक्ट्रिक सेफ्टी की एनओसी भी नहीं, बगैर अनुमति चल रहे तीन दर्जन हॉस्टल

हॉस्टल संचालकों द्वारा शासन की गाइडलाइनों का पालन नहीं किया जा रहा है और कई मामलों में इनके पास जरूरी दस्तावेज़ भी नहीं हैं। यहां रहने वाले छात्र-छात्राओं का पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं कराया जाता, जिससे अनैतिक गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है।

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सटई रोड के इस हॉस्टल में हुई थी हत्या

छतरपुर. जिला मुख्यालय में स्थित विभिन्न वाडों में दो से चार मंजिला भवनों में प्राइवेट तौर पर बॉयज और गल्र्स हॉस्टल संचालित हो रहे हैं। इन हॉस्टल संचालकों द्वारा शासन की गाइडलाइनों का पालन नहीं किया जा रहा है और कई मामलों में इनके पास जरूरी दस्तावेज़ भी नहीं हैं। यहां रहने वाले छात्र-छात्राओं का पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं कराया जाता, जिससे अनैतिक गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है। पुलिस प्रशासन को इन गतिविधियों का पता तब चलता है जब कोई गंभीर घटना घटित होती है।

शहर में तीन दर्जन स्थानों पर बड़े हॉस्टल संचालित हो रहे हैं, जिनमें 2 से 4 मंजिला भवनों में 20 से 50 कमरे बनाए गए हैं। इनमें कॉलेज और स्कूलों के छात्र-छात्राएं, साथ ही जॉब के सिलसिले में बाहर रहने वाली महिलाएं भी रह रही हैं। हालांकि, हाल ही में कुछ घटनाओं के बाद इन हॉस्टलों में सुरक्षा की गंभीर कमी उजागर हुई है। इन हॉस्टल संचालकों द्वारा केवल किराया वसूलने और मुनाफा कमाने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि हॉस्टल की आधारभूत सुविधाओं और सुरक्षा के इंतजामों की कोई खास चिंता नहीं की जा रही है। इन अवैध रूप से चल रहे हॉस्टलों के पास जरूरी दस्तावेज़ जैसे ट्रेड लाइसेंस, फायर एनओसी, बिल्डिंग परमिशन, नगर पालिका की एनओसी और इलेक्ट्रिकल सेफ्टी एनओसी की भी कमी है। यह हॉस्टल पूरी तरह से बिना अनुमति के संचालित किए जा रहे हैं।

सुरक्षा के इंतजाम न होने से बढ़ रही चिंताएं


शहर में अधिकांश हॉस्टलों में सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं हैं। हॉस्टल में न तो गेट पर गार्ड की व्यवस्था है और न ही सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इससे दिन-रात बाहरी लोगों का आना-जाना होता रहता है, जो सुरक्षा की दृष्टि से एक गंभीर मुद्दा है। हाल ही में, सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित दो हॉस्टलों में दो छात्राओं की मौत की घटना सामने आई। एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली, जबकि दूसरी का मर्डर हुआ। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि इन हॉस्टलों में सुरक्षा की गंभीर कमी है।

प्रशासन की लापरवाही और कार्रवाई की आवश्यकता


इन घटनाओं के बावजूद प्रशासन ने अब तक किसी भी हॉस्टल पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में प्रशासन द्वारा एक जांच टीम गठित करने की योजना बनाई गई है। एसडीएम अखिल राठौर का कहना है यह टीम नगर पालिका, पुलिस और राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर इन हॉस्टलों के दस्तावेज और सुरक्षा व्यवस्था की जांच करेगी। यदि कोई भी कमी पाई जाती है तो संबंधित हॉस्टल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।