
कोल्डड्रिंक की दुकान
गर्मी का मौसम आते ही शहर में कोल्डड्रिंक की मांग बढ़ गई है, लेकिन इसी बढ़ती मांग का फायदा उठाकर दुकानदारों ने मनमानी शुरू कर दी है। शहर व जिले की ज्यादातर दुकानों और होटलों में एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) से 5 रुपए ज्यादा कीमत पर कोल्डड्रिंक बेची जा रही है। दुकानदार इसका कारण बताते हैं कि कोल्डड्रिंक को ठंडा करने के लिए फ्रिज का उपयोग होता है, जिसके लिए अलग से चार्ज लिया जा रहा है।
हालांकि यह पूरी तरह से उपभोक्ता अधिकारों और नियमों का उल्लंघन है। केंद्र सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन है कि किसी भी खाद्य या पेय पदार्थ को उसके पैकेट पर छपे अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक पर नहीं बेचा जा सकता है, भले ही वह ठंडा हो या गर्म। फिर भी दुकानदार इस नियम को ताक पर रखकर कोल्डड्रिंक, मिनरल वॉटर और अन्य पेय उत्पादों पर 5 से 10 रुपए अधिक वसूल रहे हैं।
केंद्रीय मेट्रोलॉजी एक्ट के अनुसार अगर कोई खुदरा व्यवसायी ग्राहकों से कूलिंग, परिवहन जैसी चीजों का बहाना बनाकर किसी भी सामान के लिए एमआरपी से ज्यादा पैसे वसूलता है तो वह कानूनन जुर्म है। यही नहीं, ऐसे व्यवसायियों पर दो हजार रुपए जुर्माना का भी प्रावधान है। अगर आपसे कोई खुदरा व्यपारी या दुकानदार एमआरपी से ज्यादा पैसे की मांग करता है तो आप फौरन राष्ट्रीय ग्राहक हेल्पलाइन नंबर 1915 पर कॉल करें और अपनी शिकायत दर्ज करें।
शहर के प्रमुख चौराहों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बाजार क्षेत्रों में यह मनमानी खुलेआम हो रही है। खासकर गर्म दोपहर के समय जब ग्राहक को तुरंत ठंडी कोल्डड्रिंक चाहिए होती है, तब दुकानदार उसे विकल्प न देते हुए अधिक दाम पर उत्पाद बेच देते हैं। जब ग्राहक इसका विरोध करता है, तो दुकानदार सीधे जवाब देते हैं, फ्रिज में रखी है, इसलिए ज्यादा देना पड़ेगा। इस मामले में जिला प्रशासन और खाद्य एवं औषधि विभाग की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। अब तक किसी तरह की कार्यवाही या निगरानी नहीं की गई है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत यह एक दंडनीय अपराध है और दोषी पाए जाने पर संबंधित दुकानदार पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई हो सकती है।
जागरूक नागरिकों और उपभोक्ता संगठनों ने इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की मनमानी से ग्राहकों का भरोसा टूटता है और कानून व्यवस्था का मजाक बनता है। वहीं उपभोक्ताओं से अपील की गई है कि वे ऐसी दुकानों की शिकायत संबंधित विभाग या उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दर्ज कराएं। यदि जिला प्रशासन समय रहते कार्रवाई नहीं करता, तो आने वाले दिनों में यह अवैध वसूली और अधिक बढ़ सकती है।
Published on:
18 Apr 2025 10:26 am
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