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शहर के नजदीक पहाडिय़ों में की जा रही अवैध खुदाई

मुरम खुदाई के दौरान पेड़ों को किया जा रहा धराशाई, पहाड़ों और पेड़ों को नुकसान पहुंचाने से हो रहा पर्यावरण को हो रहा नुकसान

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बगौता में जारी है पहाड़ी से उत्खनन

बगौता में जारी है पहाड़ी से उत्खनन

छतरपुर. जिला मुख्यालय के आसपास मौजूद पहाडिय़ों पर मुरम कारोबारियों और कब्जाधारियों की नजर है। आसपास के गांवों में मौजूद पहाडों में लोग पहले अवैध रूप से मुरम का उत्खनन करते हैं और यहां पर मैदान होने के बाद कब्जा कर रहे हैं। जिससे ऐसे ओर जहां पहाडिय़ों को खत्म किया जा रहा है जो वहीं यहां पर लगे पेड़ों को भी काटा जा रहा है। जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। वहीं इसकी जानकारी होने के बाद भी खनिज विभाग की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, न ही राजस्व विभाग कार्रवाई कर रहा है।

शहर के नजदीक बगौता, ललौनी, ढडारी, महोबा रोड, सागर रोड, एसपी कार्यालय के पीछे, पठापुर रोड सहित आसपास मौजूद पहाडिय़ों से मुरम को अवैध उत्खनन किया जा रहा है।खनिज विभाग के अधिकारियों से लेकर चपरासी तक को इस बात की जानकारी है कि इन स्थानों में जमकर मुरम का अवैध उत्खनन हो रहा है। इन स्थानों में जेसीबी के माध्यम से खुदाई कराई जाती है और फिर यहां से ट्रैक्टरों द्वारा सप्लाई की जाती है। जिससे कई पहाड़ी के निचले हिस्से गायब हो चुके हैं। यह मुरम सड़कों से लेकर कॉलोनी निर्माण तक पहुंच रही है। खनिज विभाग का साफ कहना है कि छतरपुर में मुरम की कोई खदान नहीं है फिर भी यहां उत्खनन जारी है। सबसे बड़ी बात की एक पहाड़ों को गायब किया जा रहा है और कोई आह तक नहीं निकल रही है। ऐसा ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में शहर के आसपास पहाड़ व पहाडिय़ां समतल हो जाएंगी। वहीं पहाड़ों में उत्खनन के पेड़ों काटना पड़ता है और यहां के पत्थरों को तोड़कर घरों की नींव बनाने के लिए सप्लाई किया जाता है। पहाड़ों से कटते पेड़ों से पर्यावरण को हो भारी नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस प्रकार मुरम का अवैध उत्खनन हो रहा है उससे ग्रामीण क्षेत्र के पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। यहां उठ रही धूल और और वाहनों के धुएं के कारण वातावरण दूषित हो रहा है।

शिकायतों पर नहीं जिम्मेदारों का ध्यान

शहर सहित शहर के बाहरी इलाकों में मौजूद पहाडिय़ों में हो रहे अवैध उत्खनन को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायतें भी की हैं। शिकायतों के बाद जिम्मेदारों को जांच सौपी जाती है और जांच वर्षों तक चलती रहती है और उत्खनन भी लगातार चलता रहता है। लेकिन इस तरह के मामलों में कार्रवाई नहीं की जाती है।