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जीएसटी की प्रारंभिक जांच में मिला केवल डेढ़ माह का हिसाब, टैक्स चोरी के संदेह में 10 लाख जमा कराए, जांच जारी

फैक्ट्रियों के खिलाफ टैक्स चोरी के संदेह में एंटी इवेजन ब्यूरो सतना ने केजीआरएस इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के संचालकों से 10 लाख रुपये सरेंडर कराए हैं।

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gutakha factory

गुटखा

जिले के लवकुशनगर क्षेत्र में स्थित दो गुटखा फैक्ट्रियों में जीएसटी टीम द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में केवल डेढ़ महीने के हिसाब-किताब के बिल मिले हैं। इन फैक्ट्रियों के खिलाफ टैक्स चोरी के संदेह में एंटी इवेजन ब्यूरो सतना ने केजीआरएस इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के संचालकों से 10 लाख रुपये सरेंडर कराए हैं। इसके अलावा, जांच के दौरान ब्यूरो ने संचालकों रणवीर सिंह और कुलकांत गहोई को कुछ बिंदुओं पर नोटिस जारी कर उनके उत्तर मांगे हैं।

सैंपल रिपोर्ट पर प्रशासन करेगा कार्रवाई


कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने इस बात की पुष्टि की कि गिरधारी और लवकुशनगर स्थित किसान, पटेल गुटखा फैक्ट्रियों में व्यापक अनियमितताएं पाई गईं हैं, जिसके बाद केजीआरएस इंटरप्राइजेज का लाइसेंस पहले ही निरस्त कर दिया गया है। कलेक्टर ने कहा कि तंबाकू और गुटखा न केवल कैंसर का कारण बनते हैं, बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक हैं। पान मसाले की आड़ में तंबाकू मिश्रित गुटखा बनाना भी गलत है। प्रशासन ने इन फैक्ट्रियों से 9 सैंपल लिए थे, जिन्हें जांच के लिए भोपाल भेजा गया है। इन सैंपल रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कारोबार के दस्तावेजों में खामियां


एंटी इवेजन ब्यूरो के असिस्टेंट कमिश्नर विवेक दुबे ने बताया कि जांच के दौरान यह पाया गया कि इतनी बड़ी मात्रा में कारोबार होने के बावजूद संबंधित फर्म द्वारा पर्याप्त बिल पेश नहीं किए गए हैं। दस्तावेजों के अनुसार उक्त फर्म का कारोबार केवल 1 फरवरी 2025 से शुरू हुआ है, जिससे यह केवल डेढ़ महीने का हिसाब दिखाया जा रहा है। फिलहाल मामले की गहन जांच जारी है, और यदि फर्म के बड़े पैमाने पर कारोबार करने के और भी साक्ष्य मिलते हैं, तो उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पत्रिका व्यू


यह मामले प्रशासन और संबंधित एजेंसियों द्वारा गंभीरता से जांचे जा रहे हैं, और आने वाले समय में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि गुटखा और तंबाकू उत्पादों से संबंधित इस तरह के अनियमितताएं और अपराध समाज के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी हैं, और इससे सख्ती से निपटने की जरूरत है।