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छतरपुर

आसान नहीं किसानों के लिए फसल नुकसान की राहत राशि पाने की राह

चार साल पुराने मुआवजा की रात ताक रहे जिले के एक लाख किसानपिछले साल सर्वे में मिला 35 फीसदी से कम नुकसान, राहत से रहे वंचित

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छतरपुर. जिले के किसानों को प्राकृतिक आपदा की राशि मिलने की राह आसान नहीं है। वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से खराब हुई खरीफ सीजन की सोयाबीन, उड़द की फसल के मुआवजा की राशि अब तक सभी किसानों को नहीं मिल पाई है। वहीं पिछले साल भी जनवरी माह में ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से 130 गांवों की फसल 50 फीसदी तक खराब हुई थी, लेकिन सर्वे में 35 फीसदी से कम नुकसान की रिपोर्ट आने से किसान राहत राशि से वंचित हो गए। अब इस साल हुई तबाही के नुकसान का सर्वे चल रहा है। ऐसे में सर्वे रिपोर्ट 35 फीसदी से अधिक होने पर फसल बीमा और 50 फीसदी से अधिक होने पर राजस्व पतिपत्र के तहत राहत राशि मिलेगी। अन्यथा की स्थिति में किसानों को राहत मिलने की डगर कठिन है।


कांग्रेस सरकार ने स्वीकृति किए थे 278 करोड़
अतिवृष्टि से राहत के लिए जिले के 3 लाख 80 हजार किसानों को 278 करोड़ राहत राशि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति की गई। लेकिन तंगहाली के चलते तात्कालीन कांग्रेस सरकार ने केवल 25 फीसदी राशि ६९ करोड़ ही प्रशासन को बांटन के लिए दिए। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इन 69 करोड़ रुपए की 81 फीसदी राशि ही बांटी गई है, जो महज 2 लाख 80 हजार किसानों के खातों में पहुंच पाई। उसमें से 12.63 करोड़ रुपए किसानों को दो साल बाद भी नहीं बंट पाए हैं। जो ट्रेजरी में अभी तक पड़े हुए हैं।

पिछले साल 18 हजार हेक्टेयर में फसल हुई थी खराब
वर्ष 2022 में जनवरी के दूसरे सप्ताह में छतरपुर जिले के लगभग 130 गांव में ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से फसलों के नुकसान के एवज में मुआवजा का मांग पत्र अबतक शासन को नहीं भेजा गया है। न मुआवजे के संबंध में भी राज्य शासन से अब तक कोई लिखित निर्देश नहीं आया है। जिले में सर्वे टीमों ने 9 तहसीलों के 130 गांवों में 18 हजार 570 हेक्टेयर में फसल का नुकसान मिला । लेकिन फाइनल रिपोर्ट में नुकसान का प्रतिशत 15 से 20 प्रतिशत तक ही रहा। जिससे राहत राशि नहीं मिल पाई।

केवल 81 प्रतिशत किसानों को मिली है 25 फीसदी राशि
जिले भर के 81 प्रतिशत किसानों के खातों में अब तक 25 फीसदी राहत राशि पहुंच पाई है। जानकारी के मुताबिक छतरपुर तहसील के 59 हजार किसानों में से 43 हजार 490 किसानों को राशि प्राप्त हुई है जबकि 15 हजार 565 किसान अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। राजनगर तहसील के 65 हजार 846 किसानों में से 41 हजार 492 किसानों को राशि मिली है जबकि 24 हजार 354 किसान अभी भी तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं। बिजावर तहसील के 27 हजार 30 किसानों में से 4 हजार 907 किसान अभी राहत राशि पाने से वंचित हैं। बड़ामलहरा तहसील के 26 हजार 521 किसानों में से 1787 किसानों को राहत राशि देखने को भी नहीं मिली है। घुवारा तहसील के 19 हजार 877 किसानों में से 3 हजार 71 किसान राहत राशि पाने का इंतजार कर रहे हैं। लवकुशनगर तहसील के 20 हजार 963 किसानों में से 3 हजार 433 किसानों को राहत राशि नहीं मिली है। गौरिहार तहसील के 58 हजार किसानों में से 26 हजार 499 किसान राहत राशि पाने से वंचित हैं। चंदला तहसील के 23 हजार 201 में से 4214 किसान को राहत राशि नहीं मिल पाई है।

देरी से कांग्रेस विधायकों ने कर दी थी बगावत
वर्ष 2019 में प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान के एवज में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मुआवजा राशि का ऐलान किया था। सर्वे के बाद सरकार ने मुआवजा राशि की एक किस्त का भुगतान किया। इस राशि का किसानों को वितरण किया। सरकार ने दूसरी किस्त के भुगतान में देरी की, इसी बीच कांग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी। सरकार बदलने के कारण किसानों की मुआवजा राशि अधर में अटक गई।