बुंदलेखंड के 13 जिलों के श्रोता नहीं सुन पा रहे स्थानीय भाषा के कार्यक्रम आकस्मिक उद्घोषक, कंपीयर या कलाकरों का छिन गया काम
छतरपुर। कोरोना महामारी की इस आपात स्थिति में आकाशवाणी के स्टूडियो के पट कार्यक्रम प्रसारण के लिए बंद कर दिए गए हैं। किसी भी आकस्मिक उद्घोषक, कंपीयर या कलाकर के लिए आकाशवाणी केन्द्र में प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। लॉक डाउन 1.0 में लगाए गए प्रतिबंध आज भी जारी हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन वह सरकारी मीडिया है जिसकी पहुंच करोड़ों श्रोताओं व दर्शकों तक है। ऐसे में उन तक सही जानकारी व घर बैठने के दौरान भरपूर मनोरंजन उपलब्ध कराने की भूमिका दूरदर्शन ने बखूबी निभाई और अन्य आकाशवाणी केंद्र भी निभा रहे हैं लेकिन ग्रीन जोन में होने के बावजूद आकाशवाणी छतरपुर के स्टूडियो से रोजाना के कार्यक्रमों का प्रसारण बन्द है। सिर्फ भोपाल और दिल्ली से रिले कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। इन रिले कार्यक्रमों में अधिकांशत: कोरोना से जुड़ी जानकारियां व प्रश्नोत्तर हैं जो पिछले लगभग 50 दिनों से लगातार जारी हैं। जिनमें कोई भी नयापन नहीं है जबकि इस दौरान लोगों को स्थानीय भाषा, बोली आदि में मनोरंजन की सख्त जरूरत है।
2 करोड़ श्रोताओं तक पहुंचती है छतरपुर की आवाज
आकाशवाणी छतरपुर के मुख्य द्वार पर लगे होर्डिंग के अनुसार उसकी आवाज बुंदेलखंड के दो करोड़ श्रोताओं तक पहुंचती है। हालांकि यह आंकड़े उस दौर के हैं जब लोगों के हाथ में मोबाइल नहीं आया था। वर्तमान समय में श्रोताओं की संख्या काफी कम हुई है। फिर भी आसपास के लगभग 13 जिलों तक इसकी पहुंच बरकरार है। चूंकि बुंदेलखंड का यह प्रसिद्ध रेडियो स्टेशन है और इसकी पहुंच ज़्यादा है इसलिए ऐसे समय मे जब बुंदेलखंड में मजदूरों का वापस आना हो रहा है आकाशवाणी छतरपुर अपने बुंदेली भाषा व स्थानीय रुचि के अनुसार खबरें, जानकारियां व मनोरंजन उपलब्ध कराए तो ज़्यादा उपयोगिता साबित होगी। दूरदर्शन ने इस मौके का फायदा उठाकर पुराने धारावाहिक प्रसारित कर नई ऊंचाई छुई है लेकिन ऐसे समय में जब उसके श्रोताओं को उसकी ज्यादा जरूरत है तब आकाशवाणी छतरपुर अपने श्रोताओं से न्याय नहीं कर पा रहा है।
आकस्मिक उद्घोषक व कम्पीयर की इंट्री भी बंद
आकाशवाणी छतरपुर का 90 प्रतिशत प्रसारण सिर्फ आकस्मिक उद्घोषक और कंपीयर के जिम्मे है, लेकिन लॉकडाउन प्रथम के बाद से ही इनका आकाशवाणी में प्रवेश पूर्णत: वर्जित कर दिया गया है। स्थानीय प्रसारण के नाम पर दोपहर में 12 से 2:30 बजे तक कुछ कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। जबकि बहुत से आकस्मिक उद्घोषक आकाशवाणी के सहारे पर आश्रित थे। ऐसी स्थिति में उनका यह सहारा भी छिन गया।
उपर से मिले निर्देश
वर्तमान में भोपाल और दिल्ली से रिले चल रहा है। ढाई घंटे स्थानीय प्रशासन चलता है। कैजुअल व अन्य स्टाफ की ऊपर से मनाही है।
शंभु दयाल अहिरवार, कार्यक्रम अधिकारी
आकाशवाणी में 16 इंजीनियर व टैक्रीशियन का स्टाफ कार्यरत है। इस समय भोपाल के आदेश पर सिर्फ रिले की अनुमति है। लॉकडाउन 4.0 के बाद जैसा आदेश होगा वैसा प्रसारण किया जाएगा।
व्हीके वर्मा, सहायक अभियंता, आकाशवाणी, छतरपुर